अखिल भारतीय सीरवी महासभा

संगठन का महत्व

समाज में संगठन या संघ वर्तमान की आवश्यकता है। इसके द्धारा जाति, समुदाय या समाज को संगठित किया जाता है। सामाजिक के विकास के बिना अन्य विकास अधूरा है। संघ समाज को वाणी देता है। संगठन, प्रबन्ध अध्ययन का एक उत्तेजक एवं चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। व्यवसाय में ही नहीं, बल्कि प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का आधार सुदृढ़ संगठन एवं समन्वय व्यवस्था ही है। आज मनुष्य की सभी क्रियाएँ संगठन के अन्दर ही होती है। संगठन के बिना मानव जीवन की कोई भी क्रिया व्यवस्थित रूप से नहीं चल सकती है। हम संगठन में ही जन्म लेते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं तथा हममें से अधिकांश लोग संगठन में ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। संगठन के बिना प्रबन्ध वैसे ही प्रभावहीन है जैसे बिना आत्मा के शरीर। संगठन इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि व्यक्ति अपना अत्यधिक समय उनमें व्यतीत करते हैं। मानव शक्ति अर्थात् वयस्क जनसंख्या अपने जीवन का एक-तिहाई समय संगठनों में व्यतीत करती है। अन्य समाजों की भाँति सामाजिक की भावना को बलवती बनाने के लिए सीरवी जाति में भी अनेक संगठनों का गठन किया गया है। जिनका उद्देश्य समाज में जागृति व चेतना का विकास करना और सभी जाति बन्धुओं को साथ लेकर चलना है।

सीरवी जाति के प्रमुख संगठन निम्न हैं :-

(१) अखिल भारतीय सीरवी महासभा
(२) सीरवी नवयुवक मण्डल राजस्थान
(३) क्षेत्रीय संगठन अन्य राज्यों में
(४) जिला संघ
(५) जिला सीरवी छात्रावास संघ
(६) क्षेत्रीय नवयुवक मण्डल
(७) ग्रामीण नवयुवक मण्डल प्रत्येक गांव में अलग-अलग

अधिवेशन एवं बैठक-

संगठन के अधिवेशनों के अतिरिक्त सीरवी समाज में सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक ,सांस्कृतिक आदि उद्देश्यों के लिए समय-समय पर अधिवेशन होते हैं । यह अधिवेशन राजस्थान तथा इनके बाहर भी होते हैं । इनमें युवा वर्ग वह बुजुर्ग सभी भाग लेते हैं। समाज के एक स्थान पर मिलने का यह एक सशक्त माध्यम है । अधिवेशन में समाज हित का कोई भी मुद्दा, समाज का कोई भी व्यक्ति प्रस्तुत कर सकता है। इन प्रस्तावों पर समाज के दिग्गज, बुजुर्ग व युवा-वर्ग विचार-विमर्श करते हैं , निर्णय लेते हैं तथा महत्वपूर्ण होने पर उसी की क्रियान्विति प्रारंभ कर दी जाती हैं । किसी भी व्यवसायिक उपक्रम को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कुशल संगठन का निर्माण करना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि संगठन व्यक्तियों के कार्य स्थल पर आपसी सम्बन्धों, भूमिकाओं व पद स्थितियों का ढांचा है, जिसके अन्तर्गत सभी व्यक्ति एक एकीकृत इकाई के रूप में संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति का प्रयास करते हैं। सीरवी जाति के रचनात्मक विकास के लिए अधिवेशन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनमें कटुता को भुलाकर सभी को समाज में एक साथ मिलने का अवसर प्राप्त होता है,तथा सभी समाज की विकासात्मक स्थिति से अवगत होते है।

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