महासभा का विधान

महासभा का विधान

अखिल भारतीय सीरवी महासभा

नियम-1 संस्था का नाम :-
इस संस्था का नाम ” अखिल भारतीय सीरवी महासभा” है व रहेगा ।

नियम-2 संस्था का पंजीकृत कार्यालय :-
इस संस्था का पंजीकृत कार्यालय संघ न्यायक्षेत्र दिल्ली मे रहेगा ओर वर्तमान में 1578 सेक्टर, वसन्त कुंज नई दिल्ली मे रहेगा ।

नियम-3 परिभाषा :-
(1) इस विधान नियमावली / संघ विधान (A)“में” प्रयुक्‍त शब्द ”संस्था” का तात्पर्य “अखिल भारतीय सीरवी सीरवी महासभा” से होगा ।
(2) “समाज” से तात्पर्य “सीरवी” समाज से होगा ।
(A)“(3) ‘साधारण सभा’ से अभिप्राय राष्टीय/सम्बंधित प्रान्तीय/परगना स्तर पर संस्था के सदस्यों व्दारा चुनाव नियमावली व इस संघ विधान से नियम (8) के सदस्यों व्दारा चुनी हुई, ‘साधारण सभा‘ से होगा ।
(4) ‘राष्ट्रीय साधारण सभा’ पूरे भारतवर्ष से आंठो प्रांतों के सभी सदस्यों से,इस संघ विधान व चुनाव नियमावली के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर संस्था के नियम (8) के सभी सदस्यों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों की सभा ‘राष्ट्रीय साधारण सभा’ कहलाएगी ।
(5) ‘प्रांतीय साधारण सभा’ संबंधित प्रांत से सभी सदस्यों से इस संघ विधान व चुनाव नियमावली के अनुसार प्रांतीय स्तर पर संस्था के सभी नियम (8) के सदस्यों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभा ‘प्रांतीय साधारण सभा’ कहलाएगी।
(6) ‘परगना साधारण सभा’ से अभिप्राय संबंधित प्रांत की प्राथमिक ईकाई से हैं व इस संघ विधान व चुनाव नियमावली के अनुसार नियम (8) के सभी सदस्यों से चुने गये प्ररगना स्तर पर संस्था के सभी प्रतिनिधियों की सभा ‘परगना साधारण सभा’ कहलाएगी ।
(7) ‘कार्यकारिणी समिति’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित परगना स्तर पर साधारण सभा के सदस्यों द्वारा सरंक्षक सलाहकार सदस्य के गठन से बनी चुनाव नियमावली व इस संघ विधान द्वारा चुनी हुई समिति से हैं ।
(8) ‘पदाधिकारी’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर कार्यकारिणी समिति द्वारा चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के अंतर्गत चुने हुए / मनोनीत पदाधिकारी से हैं ।
(9) ‘अध्यक्ष’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित परगना स्तर पर कार्यकारिणी समिति द्वारा चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के अंतर्गत चुने हुए ‘अध्यक्ष’ से हैं ।
(10) ‘महासचिव’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित परगना स्तर पर चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के अंतर्गत चुने हुए / मनोनीत महासचिव से हैं ।
(11) ‘कोषाध्यक्ष’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के अंतर्गत चुने हुए / मनोनीत कोषाध्यक्ष से है ।
(12) ‘सचिव’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के अंतर्गत चुने हुए/मनोनीत सचिव से है ।
(13) ‘सदस्य’ से अभिप्राय नियम आंठ (8) में दिये संस्था के सभी सदस्यों से हैं ।
(14) ‘साधारण सभा के सदस्य’ से अभिप्राय राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर साधारण सभा सदस्यों से हैं ।
(15) ‘राष्ट्रीय स्तर’ से अभिप्राय पूरे भारतवर्ष के आठों प्रांत की संस्था की सर्वोच्च की ईकाई पदाधिकारी से हैं ‌।
(16) ‘प्रांतीय स्तर’ से अभिप्राय संस्था के आठों प्रांतों की मध्यम इकाई के स्तर से है ।
(17) ‘परगना स्तर’ से अभिप्राय संस्था के सम्बंधित प्रांतों की प्राथमिक इकाई से है ।
(18) ‘युवा पदाधिकारी’ से अभिप्राय संस्था के 18 से 40 वर्ष के राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर के युवा पदाधिकारी से है ।
(19) ‘युवा संगठन’ से अभिप्राय सम्बंधित कार्यकारिणी समिति द्वारा स्थापित अखिल भारतीय सीरवी महासभा के राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर युवाओं के भारतीय सीरवी महासभा के समानांतर संगठन से हैं ।
(20) ‘मनोनीत सदस्य’ से अभिप्राय सम्बंधित कार्यकारिणी समिति में उन 15 सदस्यों से हैं जो सम्बंधित अध्यक्ष द्वारा राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित परगना स्तर पर मनोनीत होकर कार्यकारिणी समिति के सदस्य होंगे । लेकिन उन्हें मताधिकार नहीं होगा ।
(21) ‘सरंक्षक सलाहकार सदस्य’ से अभिप्राय संस्था के राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित परगना स्तर पर उस आजीवन सदस्य से हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर संस्था को 5,00,000/-(पांच लाख रुपये), प्रांतीय स्तर पर संस्था को 2,50,000/-( दो लाख पचास हजार रुपये ) व परगना स्तर पर संस्था को ₹1,25,000/-(एक लाख पच्चीस हजार रुपये) तक का अनुदान/फीस किसी भी रूप में जमा कराने पर बन सकेगा वह सम्बंधित राष्ट्रीय/प्रांतीय/परगना कार्यकारिणी का आजीवन सदस्य रहेगा ।
(22) ‘महिला संगठन’ से तात्पर्य सम्बंधित कार्यकारिणी समिति द्वारा राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित प्ररगना स्तर पर स्थापित अखिल भारतीय सीरवी महासभा के समानांतर ‘महिला संगठन’ से हैं ।
(23) ‘प्रोफेशनल सेल’ से तात्पर्य सम्बंधित कार्यकारिणी समिति द्वारा राष्ट्रीय/सम्बंधित प्रान्तीय/सम्बंधित परगना स्तर पर स्थापित अखिल भारतीय सीरवी महासभा के प्रोफेशनल सेल से हैं।
(24) ‘ईकाईयां अथवा महासभा ईकाईयां’ से तात्पर्य उन रजिस्टर्ड ट्रस्टों/संस्थाओं इत्यादि से हैं जो सम्बंधित स्तर की साधारण सभा के द्वारा उल्लेखित हो ।
(25) ‘संस्था की संपत्ति’ से तात्पर्य उन सभी संपत्तियों से हैं जो समाज की विविध ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी या स्वतंत्र ईकाईयों के रूप में निर्मित एवं स्थापित हैं वह अपने ट्रस्ट डीड में / एग्रीमेंट में व अन्य सम्बंधित दस्तावेजों में आवश्यक संशोधन करते हुए महासभा की इकाई के रूप में उक्त प्रावधानों की परिधि में स्वतंत्र रुप से कार्य करने को इच्छुक हैं ।
(26) ‘चुनाव नियमावली’ से अभिप्राय इस नियमावली से हैं जो कार्यकारिणी समिति द्वारा बनाई जायेगी ।
(27) ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ से अभिप्राय उन सदस्यों से है जो कार्यकारिणी समिति की कार्यवाही में भाग तो ले सकेंगे लेकिन मताधिकार नहीं होगा ।
नियम-4 प्रतिनिधित्व:-
संस्था द्वारा की जाने वाली या संस्था के विरुद्ध की जाने वाली तथा इसकी सरकारी,अर्ध्दसरकारी या अन्य किसी भी प्राधिकृत कार्यवाही संस्था के नाम से की जा सकेगी। ऐसी संस्था का प्रकार की कार्यवाहीयों का प्रतिनिधि के अधीन या संस्था की कार्यकारिणी समिति द्वारा नियुक्त पदाधिकारी या सदस्य द्वारा किया जायेगा ।
नियम-5 भाषा:- संस्था (D)“ के”(A)“ की” कार्यवाही की भाषा साधारणतया हिंदी या अंग्रेजी होगी परंतु संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसी भी भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा ।
नियम-6 वित्तीय वर्ष:-
संस्था का वित्तीय वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष के अनुसार अप्रैल से मार्च होगा ।
नियम-7 सदस्यता:- संस्था के सदस्य निम्न योग्यताओं वाले सभी सामाजिक व्यक्ति बनने के अधिकारी होंगे-
अ: सदस्यता के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति व्यस्क होना अनिवार्य होगा ।
ब: संस्था का सदस्य बनने के लिए अन्य सभी कानूनी अनिवार्यताएं जैसे पागल,दिवालिया इत्यादि नहीं होना भी(D)“हो”(A)“होगा” ।
स: अन्य वे सभी योग्यताएं जो समय-समय पर संस्था द्वारा नियमानुसार निधार्रित की जायेगी ।
द: संस्था के हित को (D)“सर्वोपरित समझते’(A)“सर्वोपरि समझता” हो ।
नियम-8 संस्था के निम्न प्रकार के सदस्य होंगे:- 1. साधारण 2. आजीवन 3. (D)“सम्मानित”(A)“ सम्मानित”सदस्य. (A)“ 4. संरक्षक सलाहकार”
1. साधारण सदस्य:- संस्था को (D)[51/-(इक्यावन रुपये)] (A)1100/-(ग्यारह सो रुपये) वार्षिक सदस्यता फीस,जो प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के प्रारम्भ में अग्रिम तथा वर्ष के प्रथम मास के अंत तक अवश्य देय होगी, जमा कराने वाला व्यक्ति साधारण सदस्य कहलायेगा ।
2. आजीवन सदस्य:- कोई भी व्यक्ति यदि संस्था में (D) [500/-(पांच सो रुपये)] (A)11000/-(ग्यारह हजार रुपये) एक मुश्त बतौर सदस्यता फीस जमा करवाता है तो वह आजीवन सदस्य रहेगा । यदि कोई साधारण सदस्य 10 (दस) वर्ष तक लगातार नियमानुसार साधारण सदस्य फीस जमा करवाता रहता है तो वह साधारण सदस्य भी 10(दस) वर्ष पश्चात आजीवन सदस्य हो जायेगा ।
3. सम्मानित सदस्य:- असाधारण योग्यता वाला व्यक्ति जिन्होंने समिति के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रशंसनीय सेवा की हो, कार्यकारिणी समिति द्वारा एक वर्ष के लिए सदस्य चुने जा सकेंगे । जो अवैतनिक सदस्य कहलायेंगे। अवैतनिक सदस्य पुन: निर्वाचित हो सकेंगे । प्रत्येक राज्य की रजिस्टर्ड सोसाइटी अथवा ट्रस्टों के अध्यक्ष इस संस्था के सम्मानित सदस्य हो सकेंगे । इस सम्बंध में कार्यकारिणी समिति द्वारा समय-समय पर नियम निर्धारित कर उन्हें सदस्य मनोनीत किया जा सकेगा ।
(A)” 4. संरक्षक सलाहकार सदस्य:- संस्था को राष्ट्रीय स्तर पर 5,00,000/- (पांच लाख रुपये), प्रांतीय स्तर पर 2,50,000/- ( दो लाख पचास हजार रुपये ) व परगना स्तर पर 1,25,000/- ( एक लाख पच्चीस हजार रुपये ) तक का अनुदान/फीस एक साथ या अलग-अलग किस्तों में समय समय पर संपूर्ण उक्त राशि जमा कराने पर व्यक्ति के कार्यकारिणी समिति संस्था का संरक्षक सलाहकार सदस्य बन सकेगा । संरक्षक सलाहकार सदस्य को कार्यकारिणी समिति में मताधिकार का अधिकार होगा । संरक्षक सलाहकार सदस्य को अपने जीवन काल में नॉमिनी निर्धारित फॉर्म भरकर घोषित करने का अधिकार होगा व समय समय पर घोषित नॉमिनी के स्थान पर दूसरा नॉमिनी भी बनाने का अधिकार होगा । सरंक्षक सलाहकार के देहान्त के बाद उसके नॉमिनी को संरक्षक सलाहकार सदस्य बनने के लिए उपरोक्त राशि के हिसाब से संबंधित संस्था के स्तर हेतु आधी राशि जमा कराने पर होगा ।‌सरंक्षक सलाहकार सदस्य को अपने जीवन काल में नॉमिनी निर्धारित फॉर्म भरकर घोषित करने का अधिकार होगा व समय-समय पर घोषित नॉमिनी के स्थान पर दूसरा नॉमिनी भी बनाने का अधिकार होगा । सरंक्षक सलाहकार के देहांत के बाद उसके नॉमिनी को सरंक्षक सलाहकार सदस्य बनने के लिए उपरोक्त राशि के हिसाब से सम्बंधित संस्था के स्तर हेतु आदि राशि जमा कराने पर सरंक्षक सलाहकार सदस्य कार्यकारिणी द्वारा बना दिया जाएगा । सरंक्षक सलाहकार सदस्य द्वारा नॉमिनी घोषित नहीं करने की स्थिति में संबंधित कार्यकारिणी समिति द्वारा उसके कानूनी वारिस में से एक व्यक्ति को जो संस्था का सरंक्षक सलाहकार सदस्य बनने की आहर्ताए रखता हो, बना दिया जाएगा बशर्ते सरंक्षक सलाहकार सदस्य कि उक्त निर्धारित फीस की आधी राशि संस्था में जमा करावे एक ही व्यक्ति सरंक्षक सलाहकार निर्धारित फीस जमा कराने पर राष्ट्रीय , प्रांतीय व परगना स्तर पर बन सकेंगी ।”
नियम-9 संस्था के सदस्य बनने की प्रक्रिया:-
नियम (D)8 (A)“7” की योग्यता रखने वाला कोई भी व्यक्ति संस्था का सदस्य बनने हेतु संस्था द्वारा निर्धारित फॉर्म भरकर आवेदन कर सकेगा । सदस्य बनने के लिए आवेदनकर्ता को सदस्यता फीस नियम-8(1)(2)(3) (A)“(4)” के अनुसार संस्था के नाम आवेदन पत्र जमा करवाने से पूर्व जमा करवानी अनिवार्य होगी । सदस्यता फीस वापसी नहीं लौटाई जाएगी ।
नियम-9(1) आवेदनकर्ता द्वारा जमा करवाएं आवेदन पत्र को कार्यकारिणी जांच कर स्वीकृत करेगी । यदि आवेदन पत्र नियमानुसार नहीं है तो कार्यकारिणी उसे अस्वीकृत कर सकेंगी । यदि कोई आवेदक अध्यक्ष के निर्णय से असंतुष्ट हैं, वह अपना मामला कार्यकारिणी समिति के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु निवेदन कर सकेगा । आवेदनकर्ता द्वारा निवेदन करने पर अध्यक्ष को यह मामला कार्यकारिणी समिति के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा । सभी निरस्त आवेदन पत्रों को अध्यक्ष को समिति की अगली निश्चित बैठक में रखना अनिवार्य होगा ।
नियम-9(2) किसी भी आवेदनकर्ता द्वारा संस्था की सदस्यता हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र पर कार्यकारिणी समिति का निर्णय अंतिम होगा । किसी भी आवेदन पत्र को निरस्त करने का अधिकार समिति का अंतिम होगा तथा निरस्ती का कारण बताना समिति के लिए आवश्यक होगा ।
नियम-9(3) सदस्यता की समाप्ति :-
क. यदि उसका वार्षिक सदस्यता शुल्क निर्धारित अवधि से तीन महीने तक नियमानुसार जमा नहीं होता है ।
ख. यदि वह स्वेच्छा से लिखित में त्यागपत्र दे देता है ।
ग. यदि उसका इंतकाल हो जाता है ।
घ. यदि वह चरित्र दोष के लिए दंडित किया गया हो या यदि वह ऐसे कार्यों में संलग्न हो जो (D)“कि कार्य” कार्यकारिणी समिति द्वारा संस्था के हितों के विरुद्ध यहां अवांछनीय समझे जाए (D)“तथा समिति द्वारा उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाए” ।
ङ. कानूनन उसकी सदस्यता समाप्ति होने पर जैसे पागल, दिवालिया इत्यादि(A)“घोषित होना”
च. यदि वह संस्था का वेतनिक कर्मचारी (पार्टटाइम/फुलटाइम) हो जाता है । सदस्यता समाप्ति की सूचना सदस्य को दी जाएगी । उक्त प्रकार के निष्कासन की अपील 15 दिन के अंदर अंदर लिखित में आवेदन करने पर साधारण सभा के निर्णय हेतु वेध समझी जायेगी तथा साधारण सभा के बहुमत का निर्णय अंतिम होगा ।
नियम-10 सदस्यों के अधिकार :-
(D)” 1. साधारण सभा में उपस्थित होना, साधारण सभा की कार्यवाहियों में भाग लेना, समितियों का सदस्य चयनित होना ।
2. साधारण सभा की कार्यवाही में मतदान करना ।
3. साधारण सभा का आपातकालीन अधिवेशन बुलवाने हेतु नियमानुसार कार्यवाही करना ।
“(A)”1. राष्ट्रीय, सम्बंधित प्रांतीय व सम्बंधित परगना के लिए साधारण सभाओं के सदस्यों का चुनाव नियमावली व इस संघ विधान के तहत करना”
नियम-10(1) सदस्यों (A)“ व साधारण सभा सदस्यों ” के कर्त्तव्य :-
1, संस्था के सदस्य संस्था के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहेंगे ।
2, संस्था के सभी नियमों, उप नियमों का विधिवत पालन करेंगे और संस्था के उद्देश्यों का प्राप्त करने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे ।
“नियम- (A) “ 10(2) साधारण सभा के सदस्यों के अधिकार :-
1, साधारण सभा में उपस्थित होना, साधारण सभा की कार्यवाहियों में भाग लेना, सम्बंधित कार्यकारिणी समितियों के सदस्यों को इस संघ के विधान में चुनाव नियमावली के तहत चयनित करना ।
2, साधारण सभा की कार्यवाही में मतदान करना ।
3, साधारण सभा का आपातकालीन अधिवेशन बुलवाने हेतु नियमानुसार कार्यवाही करना । “
साधारण सभा
नियम-11 साधारण सभा का गठन :-
संस्था के सभी प्रकार के सदस्यों से मिलकर संस्था की जो प्रमुख (A)“ राष्ट्रीय, प्रांतीय व परगना स्तरों पर” सदा होगी उसे “साधारण सभा” (D)“से” पुकारा जायेगा ।
(A)“ साधारण सभाएं राष्ट्रीय, प्रांतीय व प्ररगना स्तरों पर होगी जिनका गठन निम्न प्रकार होगा : 11(1) राष्ट्रीय स्तर पर साधारण सभा का गठन: राष्ट्रीय स्तर पर साधारण सभा का गठन पूरे भारतवर्ष के आठ प्रांतों द्वारा इस संघ विधान में चुनाव नियमावली के तहत संस्था के नियम (8) के सदस्यों के निर्वाचन से होगा ।इसके अलावा सभी प्रांतों व परगनों के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय साधारण सभा के सदस्य होंगे । समाज की सभी राशि रजिस्टर्ड संस्थाएं – शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक इत्यादि के सभी अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, कोटवाल, जमादारी, साधारण सभा में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे । युवा संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारी व युवा संगठन के प्रांतीय व परिजनों के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष भी विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे । महिला प्रकोष्ठ व प्रोफेशनल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी राष्ट्रीय साधारण सभा के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे ।
11(2) प्रांतीय स्तर पर साधारण सभा का गठन : प्रान्तीय स्तर पर साधारण सभा का गठन उस प्रान्त के सभी परगनों से, इस विधान व चुनाव नियमावली के तहत संस्था के नियम (8) के सदस्यों से निर्वाचन से होगा । उस प्रांत के सभी परगनों के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष प्रांतीय साधारण सभा के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे । इसके अलावा उस प्रान्त के सभी शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक रजिस्टर्ड संस्थाओं के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे ‌। उस प्रांत के युवा संगठन के सभी पदाधिकारी व उस प्रान्त के परगनोंके युवा संगठन के अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष भी उस प्रांत की साधारण सभा के विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे । उस प्रांत की महिला प्रकोष्ठ वह प्रोफेशनल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी प्रांतीय साधारण सभा में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में सम्मिलित होंगे ।
11(3) परगना स्तर पर साधारण सभा का गठन : परगना स्तर पर साधारण सभा का गठन सम्बंधित परगना के संस्था के नियम (8) के तहत सभी सदस्यों द्वारा, इस संघ विधान के तहत व चुनाव नियमावली के तहत किया जाएगा । परगना की साधारण सभा में उस परगना में स्थित सभी शैक्षणिक, सामाजिक, धार्मिक रजिस्टर्ड संस्थाओं के समस्त अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष व कार्यकारिणी, विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग ले सकेंगे । इसके अलावा उस परगना के युवा संगठन के सभी पदाधिकारी व महिला प्रकोष्ठ व प्रोफेशनल प्रकोष्ठ के समस्त पदाधिकारी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में परगना साधारण सभा में भाग ले सकेंगे ।”
नियम-12 बेठकें :- साधारण सभा की बैठक (अधिवेशन) एक वर्ष में कम से कम एक बार बुलाना आवश्यक होगा । साधारण सभा का यह वार्षिक अधिवेशन होगा ।
नियम-13 कोरम :-
संस्था का साधारण सभा का कोरम उसके तत्कालीन सदस्य संख्या का 1/3 सदस्य संख्या होगी । साधारण सभा का हर प्रस्ताव बहुमत से पारित होगा । परंतु महत्वपूर्ण प्रस्ताव 2/3 बहुमत से पारित किया जायेगा साधारण प्रस्ताव या महत्वपूर्ण प्रस्ताव का फैसला करने का अधिकार क्षेत्रीय अध्यक्ष को होगा और वह अंतिम होगा । साधारण सभा में बराबर मत आने पर अध्यक्ष निर्णायक मत देगा ।
नियम-14 अध्यक्षता :-
साधारण सभा की अध्यक्षता कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष और अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष और इन दोनों की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी समिति का कोई भी सदस्य जो उस सभा मात्र के लिए अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, कर सकेगा।
नियम-15 बेठक की सूचना :-
बैठक की सूचना कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष या महासचिव द्वारा बैठक के दिन से कम से कम 30 दिन पूर्व निकाली जायेगी । वार्षिक अधिवेशन या बैठक की सूचना अखबार में प्रकाशित करवाकर, पेम्पलेट छपवाकर या यू.पी.सी. या अन्य उचित तरीकें से की जाएगी ।
नियम-16 स्थगित बैठक :-
साधारण सभा के अधिवेशन को, यदि निर्धारित तिथि पर, निर्धारित समय के दो घंटे बाद भी कोरम पूरा नहीं होने पर अध्यक्ष सभा को स्थगित कर सकेगा ।
नियम-16(1) निर्धारित बैठक के स्थगित किए जाने के 24 घंटे बाद, वापस उसी स्थान पर, उसी समय साधारण सभा की बैठक बुलाई जा सकेंगी, जिसकी इतिला अध्यक्ष या महासचिव द्वारा उसी वक्त निकाली जायेगी । इस इतिला संस्था के नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करके एवं अन्य उचित माध्यमों से की जायेगी ।
नियम-16(2) स्थगित बैठक का कोई कोरम नहीं होगा । यदि साधारण सभा की स्थगित बैठक होती है तो अनुपस्थित सदस्यों को इसकी यथा सम्भव इतिला की जायेगी । स्थगित बैठक में प्रस्तुत प्रत्येक प्रस्ताव 2/3 बहुमत से पारित किया जायेगा । अन्यथा प्रस्ताव माना नहीं जायेगा । साधारण सभा की स्थगित बैठक अति आवश्यक होने पर ही बुलाई जा सकेगी ।
नियम-17 आपातकालीन बैठक :-
साधारण सभा के निर्धारित वार्षिक अधिवेशन के अलावा जो भी बैठकें होगी वे आवश्यक या आपातकालीन बैठक कहलाई जायेगी । साधारण सभा के सदस्य या अध्यक्ष किसी विशेष कारण या तत्कालीन आवश्यकता के कारण, साधारण सभा की आपातकालीन बुला सकेंगे । साधारण सभा की यह बैठक यदि अध्यक्ष बुलाता है तो कार्यकारिणी समिति के बहुमत से प्रस्ताव पास करने पर ही यानी कार्यकारिणी की स्वीकृति पर ही बुला सकेगा । यदि यह बैठक सदस्यगण बुलाना चाहते हैं, तो साधारण सभा के तत्कालीन सदस्य संख्या के 1/3 सदस्यों पर हस्ताक्षर युक्त प्रतिवेदन अध्यक्ष को मिलने पर अध्यक्ष उपरोक्त अनुसार कार्यकारिणी समिति की मंजूरी प्राप्त करके बुलायेगा ।
नियम-17(अ) – अध्यक्ष
नियम 17 का प्रतिवेदन मिलने से 15 दिन के अंदर-अंदर आपातकालीन बैठक उपरोक्त मंजूरी प्राप्त करके बुलाने में असमर्थ रहता है या मंजूरी नहीं मिलती हैं, तो साधारण सभा के कम से कम 1/3 सदस्यगण अपने हस्ताक्षरयुक्त साधारण सभा के बैठक का नोटिस निकालकर व स्वयं भी ऐसी बैठक भुला सकेंगे । उपरोक्त किसी भी तरीके से साधारण सभा की आवश्यक बैठक की स्थिति में सदस्यों को कम से कम 10 दिन का लिखित नोटिस दिया जायेगा । इस नोटिस में बैठक के दिन, समय तथा स्थान का स्पष्ट रूप से वर्णन होगा । साथ ही विषय-सूची के अलावा अन्य किसी भी विषय पर विचार नहीं होगा ।
नियम-17(ब)- आपातकालीन बैठक का कोरम तत्कालीन साधारण सभा के सदस्य संख्या 51(इक्यावन) प्रतिशत सदस्य संख्या होगा तथा प्रत्येक प्रस्ताव उपरोक्त सदस्यों के बहुमत से पारित करना अनिवार्य होगा । कोरम के अभाव में बैठक स्थगित समझी जायेगी ।
नियम-18 साधारण सभा के बैठक की अवधि :- साधारण सभा का अधिवेशन तब तक चलता रहेगा जब तक उसके सभी विषयों पर गम्भीरतापुर्वक विचार या प्रस्ताव पास नही हो जाता ।
नियम-18(अ) – साधारण सभा के वार्षिक अधिवेशन की व्यवस्था एवं अधिवेशन की कार्यविधि सम्बन्धी नियम बनाने की जिम्मेदारी कार्यकारिणी समिति की होगी । साधारण सभा के अधिवेशन का समय , अवधि एवं अन्य नियम जैसे प्रस्ताव रखना एवं पास करना, सदस्यों व्दारा विचार व्यक्त करना, वोट देना इत्यादि नियम कार्यकारिणी समिति व्दारा बनाये जायेंगे ।
नियम-19 मतदान :- नियम-35 में बतलाई प्रक्रिया के अनुसार ।
नियम-20 साधारण सभा के कर्तव्य एवं अधिकार :-
1(A)“ राष्ट्रीय साधारण सभा व्दारा संघ” विधान स्वीकृत करना , विधान को संशोधित करना या उसकी जगह नया विधान संस्था रजिस्ट्रकरण अधिनियम 1860 के अनुसार बनाना ।
(A)“कार्यकारिणी समिति व्दारा बनायी गयी विभिन्न नियमावलियों को अनुमोदित करना ।”
2, संस्था की सम्पति की देख-रेख, उचित एवं प्रभावी व्यवस्था के लिए कार्यकारिणी समिति, विधान समिति, शिक्षा समिति एवं समाज सुधार समिति इत्यादि समितियों की नियुक्ति करना
3, समितियों के गठन, कार्यालय, अधिकार एवं कार्यकलाप हेतु नियम स्वीकृत करना ।
4, बजट स्वीकृत करना
5, इस अधिनियम के तहत निर्धारित सभी अधिकार एवं कर्तव्य तथा वे सभी कार्य समय विशेष एवं तत्कालीन परिस्थितियों के कारण समय-समय पर उत्पन्न होंगे ।
6, कार्यकारिणी समिति को सोंपे गये सभी अधिकारों एवं कर्तव्य का अधिकार साधारण सभा को भी होगा ।
7, कार्यकारिणी समिति का नियमानुसार चुनाव करवाना
कार्यकारिणी समिति – (A)“ ( राष्ट्रीय , प्रान्तीय व परगना स्तर पर ) ”
निमय- 21 कार्यकारिणी समिति :-
संस्था के दिन – प्रतिदिन व आवश्यक कार्या को प्रभावी रुप से करने के लिए (A)“सरंक्षक सलाहकार सदस्य, ” साधारण सभा व्दारा चयनित या मनोनीत अथवा कार्यकारिणी समिति व्दारा मनोनीत सभी सदस्यों की एक मिली-जुली समिति को कार्यकारिणी समिति मे कार्यकारिणी समिति के नाम से पुकारा जायेगा तथा संघ विधान एवं नियमावली में प्रयुक्त शब्द ”समिति” का तात्पर्य कार्यकारिणी समिति से होगा । विशेष आमंत्रित सदस्यों को मताधिकार नहीं होगा ।
नियम-22 (D)“ कार्यकारिणी समिति की सदस्य संख्या :-
कार्यकारिणी समिति की सदस्य संख्या कम से कम 31 ( इकतीस ) व अधिक से अधिक 51 ( इक्यावन ) होगी । समिति के गठन मे सभी को उचित प्रतिनिधित्व मिले इसलिए नीचे दर्ज की जा रही व्यवस्था के अनुसार ही समिति के सदस्य लिये जायेंगे ।
राज्य का नाम न्युनतम सदस्य संख्य अधिकतम सदस्य
यदि 31 हो तो संख्या यदि 51हो
1 2 3 4
गुजरात 1 2 नियम 22 की व्यवस्था अनुसार








नियम -22(1) समिति के गठन में नियम 22 में बतलाई व्यवस्था के अनुसार साधारणतया सदस्य लिए जायेंगे, परंतु यदि भविष्य में समिति की सदस्य संख्या बढ़ाई जाती है, तो न्यूनतम सदस्य संख्या के अलावा प्रत्येक राज्य के साधारण सभा की सदस्य संख्या के अनुपात में समिति को सदस्य संख्या उस राज्य के लिए बढ़ाई जाएगी । जिस राज्य में साधारण सभा के सदस्य ज्यादा है, उस राज्य की समिति में सदस्य संख्या भी ज्यादा होगी । ज्यों ज्यों जिस राज्य में साधारण सभा के सदस्य घटते जाएंगे, त्यों त्यों उस राज्य की समिति की सदस्य संख्या भी घटती जाएगी । परंतु न्यूनतम से कम नहीं होगी । यदि भविष्य में अन्य राज्य भी भी साधारण सभा में सम्मिलित होते हैं, तो उनको भी उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए इस नियम में आवश्यकतानुसार समय-समय पर संशोधन किया जायेगा । ”
(A) “ साधारण सभा, कार्यकारिणी समिति, पदाधिकारी सदस्य संख्या :- राष्ट्रीय, प्रांतीय व परगना स्तरों पर विभिन्न सदस्य संख्या अधिकतर निम्न प्रकार होगी :-


नोट – भविष्य में कार्यकारिणी समिति के निर्वाचित सदस्यों की संख्या में इस संघ विधान में संशोधन के व्दारा बढाने पर उसी अनुपात मे संरक्षक सलाहकार सदस्यों की संख्या भी बढाई जायेगी ।
नियम- 23 पदाधिकारी :-
(A) ” राष्ट्रीय, प्रान्तीय व परगना स्तर पर ( युवा संगठन सहित )”
कार्यकारिणी समिति में निम्नलिखित पदाधिकारी होंगे समिति का सदस्य एक से अधिक पदों का पदाधिकारी नही हो सकेगा :-
पद सदस्य संख्या
A 1 अध्यक्ष एक
2. उपाध्यक्ष एक
3. कोषाध्यक्ष एक
4. महासचिव एक
5. योजना सचिव एक
6. संगठन सचिव एक
7. शिक्षा सचिव. एक
8. धर्म व समाज सुधार सचिव एक
9. न्यास सचिव एक
10. न्याय सचिव एक
(D)“ कार्यकारिणी सदस्य” (D)“20 से 40 तक ”

11(A)महिला एवं बालिका शिक्षा सचिव एक
12 स्वास्थ्य सचिव. एक
13 उधोग सचिव. एक
14 व्यापार सचिव एक
15 रोजगार व अवसर सचिव एक
16 कृषि सचिव एक
17 समन्वय सचिव एक
18 परिचय सम्मेलन व सामुहिक विवाह सचिव एक
19 खेलकुद सचिव एक
20 मनोरंजन व सांस्कृतिक सचिव एक
21 युवा संगठन सचिव एक
22 राजनीतिक मामलात सचिव एक
23 सूचना व तकनीकी सचिव एक
24 अन्तराष्ट्रीय व्यापार सचिव एक
25 भवन निर्माण सचिव एक
A26 वरिष्ठ नागरिक सचिव एक
27 गोरक्षा व पर्यावरण संरक्षक सचिव एक
28 सहकारिता व बैंकिंग सचिव एक
29 आपात व चेरिटी सचिव एक
30 प्रवासी सचिव एक
31 मिडिया सचिव एक
32 नागरिक सुरक्षा व पुलिस मामलात एक
33 सहसचिव एक

(D)“ यदि इस विधान में अन्य राज्यों के सदस्य भी भविष्य में सम्मिलित होते है, तो इस नियम में संशोधन कर उनको भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जायेगा ।”
नियम-23(1)- कार्यकारिणी समिति संस्था के (D)“11” (A)“15” सदस्यों तक एक निश्चित कार्य एवं निश्चित समय के लिए मनोनयन कर सकेंगी, जो सदस्य विशिष्ट सेवा या विशिष्ट ज्ञान या विशिष्ट क्षेत्र में ख्याति प्राप्त हो तथा जिनकी सेवाएं संस्था के उद्देश्य प्राप्ति के लिए सख्त आवश्यकता है ।
नियम-23(2)- समिति के पदाधिकारियों का चयन समिति के सदस्यों में से ही अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा किया जायेगा ।
नियम-24 कार्यालय :-
(A)“ साधारण सभा, पदाधिकारीयों व ”कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल इसके विधिवत चयन से तीन वर्ष का होगा, परन्तु जब तक नयी कार्यकारिणी समिति का विधिवत् चयन नही हो जाता, तब तक वर्तमान कार्यकारिणी समिति काम करती रहेगी तथा उसका उतरदायित्व भी उसी रुप मे बना रहेगा, जैसा उनका उतरदायित्व उनके कार्यकाल के दोरान था ‌।
नियम-25 समिति के सदस्यों का चुनाव :-
समिति के सदस्यों का चुनाव प्रत्येक राज्य (A)“/ परगनों” में अलग अलग करवाया जायेगा । समिति के सदस्यों का चुनाव सम्बंधित राज्य (A)“/परगनों” के साधारण सभा के सदस्यों की आम बैठक में अप्रत्यक्ष प्रणाली द्वारा करवाया जायेगा ।
नियम-25(1) चुनाव अधिकारी एवं चुनाव की घोषणा- समिति का कार्यकाल समाप्त होने के 60 दिन पहले ही समिति का अध्यक्ष 45 दिन का चुनाव नोटिस निकालेगा । चुनाव नोटिस में राज्यवार (A)“/परगनोंवार एक साथ या अलग-अलग तिथियों को चुनाव हेतु चुनाव के दिन, समय एवं स्थान का स्पष्ट विवरण होगा व समिति के किसी भी सदस्य का स्थान 6 माह से ज्यादा समय तक किसी भी हालत में रिक्त नहीं रहेगा ।
नियम-26 :- यदि सम्बंधित सभी राज्यों (A)“/ परगनों” में एक साथ चुनाव की तिथि निर्धारित होती है तो एक से ज्यादा आवश्यकतानुसार चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जायेगी । यदि अलग-अलग तिथियों को चुनाव करवाये जाते हैं, तो एक या एक से अधिक आवश्यकतानुसार चुनाव अधिकारी नियुक्त किए जायेगें । चुनाव अधिकारी निष्पक्ष, शिक्षित एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा ‌। चुनाव अधिकारी जिस राज्य (A)“/ परगना” में चुनाव करवाने हेतु नियुक्त हुआ है उस राज्य (A)“/परगना” का नहीं होगा । अध्यक्ष द्वारा चुनाव की घोषणा नियम 25(1) में करने के साथ ही चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति भी की जायेगी ।
नियम-26(1)- समिति का चुनाव लड़ने वालों सदस्यों के लिए आवश्यक होगा कि वह मनोनयन अध्यक्ष द्वारा चुनाव की घोषणा नियम 25(1) में करने के साथ ही चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति भी की जायेगी ।
नियम26(1)- समिति का चुनाव लड़ने वालों सदस्यों के लिए आवश्यक होगा कि वह मनोनयन फॉर्म भरने से पूर्व (D)“ 21/- (इक्कीस)’’ (A)“ 1000/- (एक हजार रुपये) या नियमावली मे निर्धारित’’ रुपये बतौर सिक्योरिटी फीस संस्था के नाम जमा करवायेगा ।
नियम-26(2)- चुनाव अधिकारी चुनाव नोटिस को स्पष्ट रूप से प्रकाशित करेगा जिसमें चुनाव के दिन, स्थान, समय तथा सदस्य संख्या का स्पष्ट विवरण होगा, ताकि प्रत्येक सदस्य को इसकी स्पष्ट रूप से जानकारी हो सके । चुनाव की घोषणा, चुनाव अधिकारी की नियुक्ति, चुनाव नोटिस तथा चुनाव सामग्री का प्रकाशन समय-समय पर समिति द्वारा किया जायेगा ।
चुनाव के नियत दिन को चुनाव अधिकारी सम्बंधित राज्य(A)“/परगना” में आम सार्वजनिक स्थान पर अथवा सम्बंधित राज्य (A)“/परगना” कि किसी स्थानीय संस्था के मुख्य कार्यालय पर या अन्य उपयुक्त स्थान पर चुनाव करवायेगा । चुनाव अधिकारी के निर्णय की एक प्रति जिसमें चयनित सदस्यों का स्पष्ट विवरण होगा, चुनाव के स्थान पर, संस्था के मुख्य कार्यालय पर प्रकाशित करवायेगा । विधिवत चयन के दिन से समिति का कार्यकाल प्रारंभ माना जायेगा । यदि चुनाव में कोई विघटन आता है या विधिवत चुनाव संपन्न नहीं होते हैं तो अध्यक्ष इस सम्बंध में आवश्यक मीटिंग बुलाकर या अन्य उपयुक्त तरीके से चुनाव संपन्न करवाने की व्यवस्था करेगा ।
सम्बंधित राज्य (A)“/ परगना” के लिए तत्कालीन समय में जितने सदस्य संख्या निर्धारित है अपने स्थानों हेतु ही चुनाव करवाया जायेगा ।
नियम-26(3)- समिति के निर्धारित कार्यकाल के दौरान यदि किसी सदस्य का स्थान किसी कारणवश रिक्त होता है, तो कार्यकारिणी समिति स्वयं उस सदस्य की नियुक्ति संस्था के किसी भी सदस्य मै से करने की अधिकारिणी होगी । इस तरह नियुक्त कार्यकारिणी समिति के सदस्य का कार्यकाल जिस स्थान के लिए वह सदस्य मनोनीत हुआ है, उसके शेष बचे कार्यकाल के समय तक के लिए ही होगा यह मनोनयन जिस क्षेत्र से उसका पूर्व सदस्य था उसी क्षेत्र से होगा ।
नियम-26(4)- यदि नियम 26(3) मैं समिति के किसी पदाधिकारी का स्थान रिक्त होता है, तो कार्यकारिणी समिति द्वारा नियुक्त सदस्य को रिक्त हुए पदाधिकारी के स्थान पर मनोनीत नहीं किया जा सकेगा उस रिक्त हुए पदाधिकारी के पद के लिए कार्यकारिणी समिति की आम बैठक में उस रिक्त हुए पदाधिकारी के पद का चुनाव होगा । इस चुनाव के समय वर्तमान में जो पदाधिकारी हैं, उनको रिक्त हुए पदाधिकारी के पद पर प्रत्याक्षी होने का अधिकार तब तक नहीं होगा । जब तक कि वे इस पद के लिए प्रत्याक्षी होने से पूर्व अपने वर्तमान पद से विधिवत इस्तीफा ना दे दे । इस तरह इस परिस्थिति में सभी रिक्त हुए पदों पर पदाधिकारियों का चुनाव होगा ।
नियम-26(5)- ज्यों ही कार्यकारिणी समिति का चयन नियम 26(2) के अनुसार हो जाता है, चुनाव अधिकारी समिति के सदस्यों को 15 दिन का चुनाव नोटिस समिति के पदाधिकारियों के चुनाव हेतु जारी करेगा, जिसकी एक प्रति संस्था के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जायेगी । इस चुनाव नोटिस का स्पष्ट उल्लेख बैठक रजिस्टर में किया जायेगा । जिसमें चुनाव के दिन, स्थान व समय का स्पष्ट उल्लेख होगा । इस प्रावधान के होते हुए भी यदि समिति के कार्यकाल के दौरान किसी पदाधिकारी का या सदस्य का स्थान रिक्त होता है तो नियम 26(4) के चुनाव में चुनाव अधिकारी की नियुक्ति कार्यकारिणी समिति द्वारा की जायेगी ।
नियम-26(6)- कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों के चुनाव में समिति का सदस्य एक से ज्यादा स्थान के लिए प्रत्याशी नहीं हो सकेगा । समिति के 2/3 सदस्य यदि लिखित में मांग करते हैं तो चुनाव अधिकारी को पदाधिकारियों का चुनाव गुप्त मतदान द्वारा करवाना आवश्यक होगा । पदाधिकारियों के चुनाव में समिति के सदस्यों को मतदान करने का अधिकार होगा । पदाधिकारियों के चयन का भी स्पष्ट विवरण संस्था के बैठक रजिस्टर में किया जायेगा तथा उपस्थित पदाधिकारियों एवं सदस्यों के हस्ताक्षर करवायें जायेगें ।
नियम-27 – संभापंतित्व :-
कार्यकारिणी समिति की बेठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष व्दारा की जायेगी ओर अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष या उस मात्र के लिए चयनित किसी भी सदस्य व्दारा की जायेगी ।
नियम-28- बेठक की सुचना :-
कार्यकारिणी समिति के प्रत्येक सदस्य को बेठक के लिए नियत दिन से कम से कम तीस दिन पुर्व लिखित मे सुचना दी जायेगी । साधारणतया कार्यकारिणी समिति की बेठक संस्था के मुख्य कार्यालय पर ही होगी परन्तु अन्य क्षैत्रो मे बैठक की जा सकेगी । बेठक की सुचना के नोटिस मे, बेठक की तारीख, समय स्थान का स्पष्ट उल्लेख होगा । बेठक नोटिस मे एजेण्डा भेजना अनिवार्य होगा ।
नियम-29- कोरम :-
कार्यकारिणी समिति की बेठक का कोरम उसी तत्कालीन सदस्य संख्या की आधे से अधिक सदस्य संख्या होगा । कार्यकारिणी समिति के प्रत्येक प्रस्ताव उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित होंगे । परंतु महत्वपूर्ण विषयों के प्रस्ताव उपस्थित सदस्यों के ⅔ बहुमत से पारित किए जायेगे । महत्वपूर्ण विषय एवं साधारण विषय का उल्लेख अध्यक्ष द्वारा सभा शुरू होने से पूर्व कर दिया जायेगा । यदि विषय महत्वपूर्ण या साधारण को लेकर विवाद हैं, तो अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होगा । कोरम के अभाव में कार्यकारिणी की बैठक स्थगित समझी जायेगी ।
नियम-30 समिति की स्थगित बैठक :-
समिति की बैठक में यदि निर्धारित समय के 1 घंटे बाद भी कोरम पूरा नहीं होता है तो अध्यक्ष उस सभा को स्थगित कर सकेगा । निर्धारित बैठक स्थगित किए जाने के 4 घंटे बाद वापस उसी स्थान एवं समय पर समिति की बैठक बुलाई जा सकेंगी, जिसकी इतिला अध्यक्ष द्वारा उसी वक्त निकाली जायेगी तथा संस्था के नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित की जायेगी ।
स्थगित बैठक का कोई कोरम नहीं होगा । स्थगित बैठक में आवश्यक विषय पर ही विचार किया जायेगा । स्थगित बैठक तभी बुलाई जायेगी जब सभी उपस्थित सदस्य संस्था के हित में किसी भी विषय पर तुरंत विचार कर उस पर निर्णय लेना आवश्यक समझते हो ।
नियम-31 आपातकालीन बैठक :-
समिति के सदस्य यहां अध्यक्ष किसी विशेष कारण या तत्कालीन आवश्यकता के कारण समिति की आपातकालीन बैठक बुला सकेंगे । अध्यक्ष किसी भी वक्त समिति की आपातकालीन बैठक बुला सकेगा । यदि अध्यक्ष संस्था के हित में किसी भी विषय पर तुरंत विचार कर निर्णय लेना आवश्यक समझता हो । यदि बैठक सदस्य बुलाना चाहते हैं, तो कम से कम 10 संदस्यों का या समिति के तत्कालीन सदस्य संख्या का 15% जो भी कम हो, के हस्ताक्षरयुक्त प्रतिवेदन अध्यक्ष को मिलने पर अध्यक्ष उपरोक्त अनुसार समिति की आपातकालीन बैठक बुलायेगा ।
यदि अध्यक्ष उपयुक्त प्रतिवेदन मिलने के 25 दिन के अंदर-अंदर समिति की आपातकालीन बैठक बुलाने में असमर्थ रहता है, तो समिति के कम से कम ⅓ सदस्य अपने हस्ताक्षरयुक्त समिति की बैठक का नोटिस निकालकर वे स्वयं भी ऐसी बैठक भुला सकेंगे । उपरोक्त किसी भी तरीकें से समिति की आवश्यक बैठक में सदस्यों को कम से कम 15 दिन का लिखित नोटिस दिया जायेगा । इस नोटिस मे बैठक के दिन, समय तथा स्थान का स्पष्ट रुप से अंकन होगा । साथ ही विषय सुची जिस पर विचार होना है, भेजना आवश्यक होगा । आपातकालीन बैठक के नोटिस में वर्णित विषय सूची के अलावा अन्य किसी विषय पर विचार नहीं किया जायेगा । आपातकालीन बैठक का कोरम तत्कालीन समिति के सदस्य संख्या का ⅓ सदस्य संख्या होगा तथा प्रत्येक प्रस्ताव उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित करना अनिवार्य होगा । कोरम के अभाव में बैठक स्थगित समझी जायेगी ।
नियम-32- कार्यकारिणी समिति के किसी भी सदस्य की सदस्यता निम्न परिस्थितियों मे समाप्‍त की जा सकेंगी :-
(अ) यदि वह स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दे ।
(ब) यदि समिति का सदस्य संस्था का वेतनिक कर्मचारी हो जाता हे ।
(स) यदि उसका इन्तकाल हो जाता हे
(द) यदी समिति का सदस्य तीन लगातार बैठकों में बिना उपयुक्त वजह अनुपस्थित रहता है और समिति के ¾ सदस्य बहुमत से उसकी सदस्यता, उस सदस्य को कम से कम 61 दिन का लिखित नोटिस देकर समाप्त कर देता है ।
(य) कानूनन उसकी सदस्यता समाप्त होने पर अथक पागल दिवालिया इत्यादि
(र) यदि उसकी सदस्यता नियम (8)5 के अनुसार समाप्त हो जाती हैं ।
(ल) समाज व संस्था के हितों के विपरीत कार्य करने पर।
नियम-33- कार्यकारिणी समिति के अधिकार एवं कर्तव्य :-
(अ) संस्था का दिन प्रतिदिन का कार्य करना ।
(ब) इस अधिनियम में वर्णित उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु सभी आवश्यक कार्य कार्यकारिणी समिति के होंगे ।
(स) संस्था की संपत्ति की उचित एवं प्रभावी व्यवस्था करना ।
(द) संस्था की कार्यकारिणी समिति के वे सभी अधिकार एवं कर्तव्य भी होंगे जो तत्कालीन समय एवं परिस्थितियों वश संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु आवश्यक समझे जाएंगे । इसके अलावा उनमें निम्न कार्य मुख्यतः होंगे –
संस्था के सदस्यों की सदस्यता स्वीकार करना ।
कार्यकारिणी समिति का चुनाव करवाना ।
चुनाव सामग्री का प्रकाशन कराना ।
सदस्यों की सदस्यता, नियमानुसार समाप्त करना ।
सदस्यों को रिक्त स्थानों की पूर्ति करना एवं सदस्यों का मनोनयन करना ।
साधारण सभा की आवश्यक बैठक बुलाना ।
साधारण सभा के वार्षिक अधिवेशन की कार्यविधि सम्बंधी नियम बनाना एवं व्यवस्था करना ।
संस्था की साधारण नीति निर्धारण करना ।
संस्था की ऑडिट हेतु ऑडिटर नियुक्त करना ।
संस्था में कर्मचारी रखना एवं उन्हें हटाना एवं उनकी सेवा नियमों को तय करना ।
बजट बनाना ।
साधारण सभा में संस्था की वार्षिक रिपोर्ट एवं बजट रखना ।
इस अधिनियम के अधीन नियम, उपनियम समय-समय पर बनाना जो संस्था के सुचारु सुधार कार्य संचालन के लिए आवश्यक हो।
उपसमितियों का गठन करना एवं उनके अधिकार तथा कर्तव्यों का निर्धारण करना तथा आवश्यकता पड़ने पर नियमानुसार समाप्त करना ।
कार्यकारिणी समित इस अधिनियम की व्यवस्था करने वाली अन्तिम व निर्णायक शक्ति होगी ।
चुनाव नियमावली बनाना ।
संस्था व समाज की परिस्थितियों के सम्बन्ध मे नियमावली बनाना ।
निधियों के संचालन हेतु नियमावली बनाना ।
अन्य सभी नियमावली बनाना जो संस्था के उद्देश्यों को पुरा करने व काम चलाने के लिए आवश्यक हों ।“
नियम-34- पदाधिकारी “ ( राष्ट्रीय, प्रान्तीय व परगना )” के अधिकार एवं कर्तव्य :-
अध्यक्ष :-
चुनाव अधिकारी की नियुक्ति कार्यकारिणी समिति से करवाना ।
साधारण सा महत्वपूर्ण प्रस्ताव का निर्णय करना ।
निर्णायक मत देना ।
साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता करना ।
साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाने को महामंत्री को निर्देश करना ।
संस्था में कर्मचारी नियुक्त करना एवं उन्हें पदच्युत करना तथा उनके कार्यों की निगरानी रखना ।
कार्यकारिणी समिति एवं साधारण सभा की बैठकों की व्यवस्था करना एवं नियंत्रण रखना ।
‘9000/- रुपये (A) परगना अध्यक्ष, 45000/- रुपये प्रान्तीय अध्यक्ष 90000/- व 3,50,000/- राष्ट्रीय अध्यक्ष “ तक का खर्चा बिना पुर्व कार्यकारिणी समिति की मंजुरी लिये ही आवश्यक होने पर खर्च करना ।
साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक मे विघ्न डालने वाले सदस्यों को बर्खास्त करना या बैठक से बाहर निकालना ।
अन्य आवश्यक वे सभी कार्य जो तत्कालीन समय एवं परिस्थितियों वश करना आवश्यक हो ।
संस्था की ओर से या संस्था के विरुद्ध की जाने वाली तमाम कार्यवाहियों में संस्था का प्रतिनिधित्व करना ।
(2) उपाध्यक्ष :-
उपाध्यक्ष को अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी अधिकार एवं कर्तव्य प्राप्त होंगे ।
(3) महासचिव :-
साधारण सभा एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक अध्यक्ष की सहमति से बुलाना ।
बैठक नोटिस निकालना तथा बैठक का रिकॉर्ड रखना ‌
उपस्थित एवं कार्यवाही रजिस्टर को विधिवत रखना ।
कार्यवाही लिखना एवं सदस्यों के हस्ताक्षर करवाना ।
संस्था की ओर से पत्र व्यवहार करना ।
स्टेशनरी एवं आवश्यक सामान की व्यवस्था करना ।
अध्यक्ष द्वारा निर्देशित अन्य सभी कार्य करना ।
1000/- (एक हजार ) रुपये की राशि बिना पूर्व कार्यकारिणी समिति की मंजूरी लिए ही आवश्यक होने पर खर्च करना ।
(4) सहसचिव :-
महासचिव की अनुपस्थिति में सहसचिव के वे सभी अधिकार एवं कर्तव्य होंगे जो महासचिव के हे अथवा अध्यक्ष व्दारा विशेष विषयों को निर्देशित कार्य ।
(5) कोषाध्यक्ष :-
बजट तैयार करना ओर मंजूरी हेतु प्रस्तुत करना ।
बैठक नोटिस निकालना तथा बैठक का रिकॉर्ड रखना ।
उपस्थिति एवं कार्यवाही रजिस्टर को विधिवत रखना ।
कार्यवाही लिखना एवं सदस्यों के हस्ताक्षर करवाना ।
संस्था की ओर से पत्र व्यवहार करना ।
स्टेशनरी एवं आवश्यक सामान की व्यवस्था करना ।
अध्यक्ष व्दारा निर्देशित अन्य सभी कार्य करना ।
1000/- (एक हजार ) रुपये की राशि बिना पुर्व कार्यकारिणी समिति की मंजुरी लिये ही आवश्यक होने पर खर्च करना ।
(4) सहसचिव :-
महासचिव की अनुपस्थिति में सहसचिव के वे सभी अधिकार एवं कर्तव्य होंगे जो महासचिव के हे अथवा अध्यक्ष व्दारा विशेष विषयों को निर्देशित कार्य ।
(5) कोषाध्यक्ष :-
बजट तैयार करना ओर मंजूरी हेतु प्रस्तुत करना ।
संस्था की कार्यकारिणी समिति साधारण सभा व्दारा स्वीकृत बजट को नियमानुसार खर्च करना ।
आय व्यय का सम्पूर्ण ब्योरा रखना ।
ऑडिट करवाना तथा ऑडिट रिपोर्ट को कार्यकारिणी समिति के समक्ष प्रस्तुत करना ।
1000/- (एक हजार) रुपये तक की रोकङ राशि अपने पास रखना ।
1000/- (एक हजार) रुपये तक की राशि बिना पुर्व कार्यकारिणी की मंजुरी लिये ही आवश्यक होने पर खर्च करना ।
महामंत्री का उसकी आवश्यकतानुसार धन उपलब्ध करवाना ।
अन्य वे सभी कार्य जो अध्यक्ष व्दारा निर्देशित किये जावे ।
(6) न्याय सचिव :-
अखिल भारतीय सीरवी महासभा के क्षेत्र में उत्पन होने वाले किसी प्रकार के विवाद विषय से प्रबन्धकारिणी एवं महासभा को अवगत कराना ।
न्यास समिति की मीटिंगों की अध्यक्षता करना ।
ग्राम स्तर पर एवं परगना स्तर की समितियों व्दारा की जाने वाली अपीलों एवं शिकायतों का सम्पूर्ण ब्योरा रखना ।
(7) शिक्षा सचिव :-
महासभा एवं प्रबंधकारिणी की देखरेख में संपूर्ण महासभा क्षेत्र में शिक्षा एवं साहित्य के विकास, सुधार, संशोधन एवं प्रचार प्रसार हेतु कार्य करना तथा छात्रावासों, कॉलेजों, विद्यालयों, प्रशिक्षण केंद्रों आदि की व्यवस्था करना एवं संचालन सम्बंधी कार्य की देखभाल करना ।
महासभा स्तर पर शिक्षा कोष का निर्माण करना तथा केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा बनाई गई सूची एवं शर्तों के अनुसार गरीब प्रतिभावान छात्रों, विकलांगों, अपाहिजों, अनाथों को छात्रवृत्ति, ऋण सहायता/अनुदान देना ।
शिक्षा समिति की मीटिंगों की अध्यक्षता करना ।
(8) योजना सचिव :-
समाज एवं महासभा को सुदृढ़ बनाने, संस्था की आय को विभिन्न आवश्यक मदों में व्यय करने का प्रारूप बनाना, संस्था के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु नई नई योजनाएं बनाना तथा योजना के प्रारूप को महासभा के समक्ष प्रस्तुत करना।
(9) संगठन सचिव :-
महासभा एवं समाज की एकता एवं संगठन को बनाये रखने में मदद करना ।
संस्था के उद्देश्यों एवं समाज के हितों के विपरीत आचरण करने वाले सदस्यों के विरुद्ध प्रबंधकारिणी में शिकायत करना एवं उनकी सूची बनाना ।
(10) धर्म एवं समाज सुधार सचिव :-
समाज मे व्यात कुरीतियों, प्राचीन रुढियों एवं धार्मिक अन्धविशवासों का हटाने का प्रयत्न करना तथा हिन्दु संस्कृति के अनुसार समाज में अच्छे संस्कारों का कायम करना ।
महासभा व्दारा बनाई गई धर्म एवं समाज सुधार समिति की मीटिंगों की अध्यक्षता करना ।
समाज सुधार हेतु बनाये गये नियमों एवं पारित प्रस्तावों का उल्लंघन करने वाले सदस्यों के विरुद्ध प्रबन्धकारिणी में शिकायत करना एवं उसकी सुची बनाना ।
(11) न्यास सचिव :-
महासभा (A)“ / संस्था व समाज की विभिन्न संस्थाओं ” की चल एवं अचल सम्पत्ति की मुल्यावस्था हेतु सभी प्रकार की चल अचल सम्पत्ति का अपनी देखरेख में संचालन करना (A)“ व सभी ऐसी सम्पतियों का कानुनी परिक्षण करवाना” ।
(D)“ महासभा के कार्य क्षैत्र में होने वाले किसी प्रकार के निर्माण, जीर्णोद्धार मरम्मत, पुर्व निर्माण का हटाना, गिराना, बदलना आदि कार्यां का संचालन, देखरेख करना ।
(A)“2. महासभा के द्वारा ट्रस्टों का निर्माण :-
महासभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु महासभा को विविध ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी या संस्था स्वतंत्र इकाइयों के रूप में निर्मित एवं स्थापित करने का अधिकार होगा । ऐसी संस्थाओं की स्थापना एवं पंजीकरण हेतु जो ट्रस्ट डीड बनाई जाएगी उसमें यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रस्तावित ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी या संस्था उनकी ट्रस्ट डीड के प्रावधानों की परिधि में स्वतंत्र रूप से कार्य करते हुए भी महासभा, प्रदेश एवं जिला सभा के नीति निर्देशों के अनुसार एवं संपूर्ण समन्वय रखते हुए कार्य कर सकें । भविष्य में स्थापित होने वाले पंजीकृत ट्रस्टों का महासभा से संपूर्ण समन्वय बना रहे इस हेतु ट्रस्ट में महासभा के वर्तमान सभापति एवं महामंत्री अथवा महासभा कार्यसमिति द्वारा निर्धारित अधिकतम 2 सदस्यों का समावेश किया जाना चाहिए । भविष्य में स्थापित होने वाली इकाइयों के ट्रस्ट डीड महासभा कार्यसमिति द्वारा गठित समिति के अनुमोदन के बाद ही पंजीकृत हो सकेंगे ।“
3. महासभा व्दारा बनायी गयी न्यास समिति की अध्यक्षता करना ।
(A)“(12) महिला एवं बालिका शिक्षा सचिव
(13) स्वास्थ्य सचिव
(14) उद्योग सचिव
(15) व्यापार सचिव
(16) रोजगार का अवसर सचिव
(17) कृषि सचिव
(18) समन्वय सचिव
(19) परिचय सम्मेलन व सामूहिक विवाह सचिव
(20) खेलकूद सचिव
(21) मनोरंजन व सांस्कृतिक सचिव
(22) युवा संगठन सचिव
(23) राजनीतिक मामला सचिव
(24) सूचना व तकनीकी सचिव
(25) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव
(26) भवन निर्माण सचिव
महासभा के कार्यक्षेत्र में होने वाले किसी प्रकार के निर्माण, जीणोद्वार, मरम्मत, पुर्व निर्माण का हटाना, गिराना, बदलना, आदि कार्यों का संचालन, देखरेख करना । यह कार्य संस्था द्वारा अनुमोदन वास्तुकर/ अभियंता व प्रोफेशनल सेल की राय लेकर करना होगा ।
(27) वरिष्ठ नागरिक सचिव
(28) गौरक्षा व पर्यावरण सरंक्षक सचिव
(29) सहकारिता वह बैंकिंग सचिव
(30) आपात व चैरिटी सचिव
(31) प्रवासी सचिव
(32) मीडिया सचिव
(33) नागरिक सुरक्षा व पुलिस मामलात
(34) सहसचिव
नियम-35 मतदान :-
हर सदस्य का एक वोट समझा जायेगा तथा अध्यक्ष का निर्णायक मत होगा ।
मतदान साधारण प्रत्यक्ष प्रणाली व्दारा हाथ खङे करके किया जायेगा । मांग करने पर गुप्त मतदान प्रणाली व्दारा भी मतदान किया जा सकेगा ।
गुप्त मतदान प्रणाली की स्थिति में चुनाव अधिकारी मत-पत्र खोलेंगे एवं कोषाध्यक्ष चुनाव अधिकारी के निर्देश से गिनेंगे । चुनाव अधिकारी का निर्णय सबको मान्य होगा ।
कार्यकारिणी समिति के ⅔ सदस्यों द्वारा लिखित में मांग करने पर पारित किसी प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जा सकेगा और उसे विषय सूची में रखा जा सकेगा । बशर्थ है कि बैठक से 7 रोज पहले यह मांग की जाये ।
नियम-36 :- साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक में सदस्यगण अध्यक्ष की अनुमति लेकर बारी-बारी से बोलेंगे । सदस्यगण से यह अपेक्षा की जाती है कि वे बैठक में विशेष सूचि पर ही न्रम भाषा में अपने विचार व्यक्त करेंगे । अभद्र यहां इल्जाम लगाने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं किया जायेगा । अगर कोई सदस्य बैठक में विघ्न डालेगा तो अध्यक्ष उसे बैठक से निलंबित कर सकेगा । गैर सदस्यों को सभा में उपस्थित होने का साधारणतया अधिकार नहीं होगा परंतु अध्यक्ष की अनुमति से दर्शक के रुप में उपस्थित रह सकेंगे ।
नियम-37:- संस्था की साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक का पूर्ण रिकॉर्ड रखा जायेगा हर कार्यवाही या प्रस्ताव कार्यवाही रजिस्टर में लिखा जायेगा तथा सदस्यों की उपस्थिति दर्ज की जायेगी । आय व्यय का ब्यौरा नियमानुसार रखा जायेगा, संस्था की सम्पत्ति का भी पूर्ण रिकॉर्ड रखा जायेगा ।
नियम-38 :- संस्था, संस्था के कार्य के लिए धन, दान प्राप्त कर सकेगी, दान से प्राप्त किसी धन राशि को आवश्यकतानुसार व्यय कर सकेगी । सदस्यों की सदस्यता फीस प्राप्त कर सकेगी । संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किसी भी चल या अचल सम्पत्ति को खरीद सकेगी ।
नियम-39 :- संस्था का कोष किसी भी मान्यता प्राप्त शेड्युल बेंक में रखा जायेगा ओर यह संस्था के नाम से होगा, जिसको अध्यक्ष, महासचिव एवं कोषाध्यक्ष तीनों में से कोई भी दो पदाधिकारी ऑपरेट करेंगे । इसमें कोषाध्यक्ष का होना अनिवार्य होगा ।
नियम-40 :- संस्था का हर वर्ष नियमानुसार बजट तैयार किया जायेगा । संस्था व्दारा खर्च किये गये एवं संस्था की आमदनी का एकाउण्ट हर साल कार्यकारिणी समिति व्दारा किसी भी मान्यता प्राप्त चार्टर्ड एकाउण्टेन्ट व्दारा ऑडिट करवाया जायेगा ओर ऑडिटर की रिपोर्ट साधारण सभा या कार्यकारिणी समिति की बैठक में पास की जायेगी ।
नियम-41 :- परिवर्तन सम्बन्धी प्रावधान संस्थाए रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 12 के आधार पर की जायेगी ।
नियम-42 :- विघटन सम्बन्धी प्रावधान संस्थाएं रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 की धारा 13 व 14 के आधार पर की जायेगी ।
नियम-43 :- (A)“(1)” संस्था, संस्था के कार्य के लिए सदस्यों से सदस्यता फीस, आजीवन सदस्यता राशि (A)“ संरक्षक सलाहकार से फीस/अनुदान” प्राप्त कर सकेगी व धन, दान से प्राप्त कर सकेगी, संस्था की आय संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु खर्च की जायेगी ।
(A)“(2) संस्था राष्ट्रीय, सम्बंधित प्रांतीय व सम्बंधित परगना स्तरों पर किसी भी मान्यता प्राप्त शेडूल बैंक में अखिल भारतीय सीरवी महासभा के नाम राष्ट्रीय/ सम्बंधित प्रांतीय/सम्बंधित परगना के नाम खाता खुलवा सकेगी । खाते का संचालन अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष ही कर सकेंगे । प्रांतीय व परगना स्तरों पर खाता खोलने के सम्बंधित प्रान्तीय व सम्बंधित परगना स्तरों पर उनके अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष अधिकृत हैं ।
(3) महासभा की कार्यसमिति स्थाई कोष का निर्माण कर सकेंगी । स्थाई कोष के लिए प्राप्त धन महासभा के स्थाई निधि के रूप में बैंक में जमा किया जाएगा और उस निधि के केवल ब्याज की आय ही खर्च की जा सकेगी । कार्यकारी मंडल की अनुमति से विशेष परिस्थिति में स्थाई कोष के रुपये खर्च किए जा सकेंगे ।
(4) परगना स्तर पर जमा साधारण व आजीवन सदस्यता फीस व अनुदान का बंटवारे मैं परगना स्तर पर 25%, प्रांत स्तर पर 25% व राष्ट्रीय स्तर पर 50% स्थाई कोष का निर्माण नियम 43(2) के अनुसार होगा ।
(5) परगना स्तर पर जमा सरंक्षक सलाहकार सदस्य फीस,अनुदान 25% सम्बंधित परगना व 25% सम्बंधित प्रांत व 50% राष्ट्रीय स्तर पर संस्था के बैंक खातों में जमा होगा ।
(6) प्रांतीय स्तर पर जमा संरक्षक सलाहकार सदस्य फीस,अनुदान, 25% प्रांतीय व 75% राष्ट्रीय स्तर के संस्था के बैंक खातों में जमा होगा ‌।
(7) राष्ट्रीय स्तर पर जमा संरक्षक सलाहकार सदस्य फीस,अनुदान,राष्ट्रीय स्तर पर ही संस्था के बैंक खातों में जमा होगा ।
(8) उपरोक्त अनुदान के अलावा अन्य किसी प्रकार का अनुदान परगना स्तर पर जमा होने पर 70% सम्बंधित परगना व 10% सम्बंधित प्रांत व 20% राशि राष्ट्रीय स्तर पर संस्था के बैंक खातों में जमा होगी लेकिन ऐसा अनुदान प्रांतीय स्तर पर प्राप्त होने पर 70% प्रान्त व 30% राष्ट्रीय स्तर के संस्था के बैंक खातों में जमा होगा परंतु किसी प्रकार का अनुदान सीधे राष्ट्रीय स्तर पर जमा होने पर संपूर्ण अनुदान, फीस आदि की राशि संस्था के राष्ट्रीय स्तर के खातों में ही जमा होगी ।
(9) समाज की रजिस्टर्ड संस्थाऐं बडेर इत्यादि व्दारा परगना स्तरों पर उपरोक्त राशि इकट्ठी की जा सकेगी ओर अखिल भारतीय सीरवी महासभा के सम्बंधित परगना के बेंक खाते मे जमा करवा दी जायेगी जिसका बंटवारा उपरोक्त अनुसार होगा ।
नियम-44 कार्यकारिणी वार्षिक सुची :-
हर वर्ष के बाद कार्यकारिणी सदस्यों व पदाधिकारियों की सूची (नाम, पता वह पद) सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 की धारा 4 के अनुसार रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज, दिल्ली में जमा की जायेगी ।
नियम-45 विघटन धारा 13 :-
समिति/एसोसियेशन की साधारण सभा के 75% सदस्यों के बहुमत से इस समिति/एसोसियेशन को विघटित किया जा सकता हे । जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 13 के अनुसार होगा ।
नियम-46 विघटन धारा 14 :-
उपरोक्त अनुसार संस्था का विघटन होने के पश्चात उसकी चल व अचल सम्पत्ति को सदस्यों में नही बाटा जायेगा । अपितु संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 की धारा 14 के अनुसार 75% सदस्यों के बहुमत से उसे ऐसे ही समान उद्देश्यों वाली समिति/एसोसियेशन के रुप मे दे दिया जायेगा ।
नियम-47 संस्था का पंजीकरण :-
संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 जेसा की संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली मे प्रचलित हे वे समस्त उपलब्ध इस संस्था पर लागु होंगे ।
प्रमाणीकरण :- हम निम्न हस्ताक्षरकर्ता प्रमाणित करते हे कि उपरोक्त संस्था के विधान (नियमावली) की सही व सच्ची प्रतिलिपि हैं :- (क्र.सं. नाम मय पुर्ण पता पद व्यवसाय हस्ताक्षर के प्रारुप मे)
अध्यक्ष महासचिव कोषाध्यक्ष न्यायसचिव

अखिल भारतीय सीरवी महासभा
संस्था का नाम – इस संस्था का नाम ” अखिल भारतीय सीरवी महासभा ” रहेगा ।
संस्था का पंजीकृत कार्यालय – इस संस्था का पंजीकृत कार्यालय संघ न्यायक्षेत्र दिल्ली में रहेगा ओर वर्तमान में यह फ्लेट नं. 1578 सेक्टर बी, पाकेट-1, बसंत कान्त कुंज, नई दिल्ली हे ।
कार्य क्षेत्र – इस संस्था के कार्य का क्षेत्र समस्त भारत रहेगा ।
संस्था का उद्देश्‍य – (A) “विश्व के समस्त निवासियों की उन्नति एवं प्रगति के व्यापक दृष्टिकोण के साथ सीरवी समाज की समयानुकूल सर्वांगीण उन्नति करना जिससे सीरवी समाज विश्व का प्रगतिशील घटक बना रहे । समाज की संस्कृतिक, आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,व्यावसायिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य व मानसिक उन्नति के लिए प्रत्यन करना । “
यह संस्था गैर राजनीतिक और असांप्रदायिक संगठन है, जिसकी स्थापना सीरवी समाज को सुसंगठित, शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए एवं निम्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु की गी :-
1, समस्त भारतवासियों में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शिक्षा के लिए छात्रावास, स्कूल, कॉलेज इत्यादि का निर्माण करवाना और उसकी नियमित एवं प्रभावी व्यवस्था करना । सीरवी समाज में शत प्रतिशत साक्षरता स्थापित करना ।
2. सीरवी समाज की चल एवं अचल संपत्ति की रक्षा करना ।
3. समाज में सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, साहित्यिक एवं शैक्षणिक चेतना उत्पन्न करना एवं वर्तमान में बदलते परिवेश को मध्य नजर रखते हुए समाज के सामाजिक, नैतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में उन्नति व विकास के साथ राष्ट्र की प्रगति में योगदान करना ।
4. सत्संग भावनों, शांतिग्रहों, उपदेश स्थलों, न्याति नोहरों, छात्रावासों, औषधालयों, वाचनालयों आदि का निर्माण करना एवं निर्माण में सहयोग करना, जीणोद्धार करना एवं उसमें सहयोग करना, संचालन करना ।
5. मेधावी वह गरीब छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन पुरस्कार देना । किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता पाने वाले छात्र छात्राओं को सम्मानित करना । उचित शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा के लिए छात्र छात्राओं की हर सम्भव सहायता करना । स्त्री शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना ।
6. गरीब ,अपाहिज विकलांग एवं बेसहारा बुड्ढे विकलांगों, विधवाओं, बच्चों के लिए रोटी, कपड़े, दवाईयों आदि का प्रबंध करना ।
7. प्राकृतिक संकटों व विपदाओं जैसे अकाल, बाढ़, महामारी, भूकंप, अतिवृष्टि आदि के समय सहयोग करना ।
8. समाज के लोगों में यह जागृति पैदा करना कि आज के विज्ञान युग में कृषि के अलावा व्यापार, शिक्षा एवं उद्योग भी आवश्यक है । कृषि को वैज्ञानिक तरीके से करने, कृषि में वैज्ञानिक उपकरणों, उन्नत बीजों (A)“ तथा वैज्ञानिक तरीके से खेती”(A)“का प्रयोग” करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना ।
9. समाज के लोगों को विशेषकर महिलाओं को सामाजिक क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रोत्साहित करना, निडर तथा सम्मानजनक स्थिति में होकर रहने के लिए जागृत करना ।
10. समाज के गणमान्य व प्रतिभा संपन्न जाति सेवकों, तपस्वी, कलाकारों व विद्वानों का सम्मान करना तथा उन्हें समुचित उपाधियों से विभूषित करना ।
11. समाज में फैली देश, प्रदेश जाति समुदायों की प्रथकता के भेदभावों को समाप्त करना । समाज की अन्य रजिस्टर्ड सोसाइटियों अथवा ट्रस्टों में सामंजस्य स्थापित करना ।
12. संस्था के उद्देश्यों के प्रचारनार्थ पत्र, पत्रिकाओं को प्रकाशित करना, समाज में समय समय पर सम्मेलनों, शिविरों का आयोजन करना ।
13. संस्था की संपत्ति को सुव्यवस्थित करना, संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु चल व अचल सम्पत्ति खरीदना, उसको बढ़ाना, विकसित करना, परिवर्तन करना ।
14. संस्था के उद्देश्य प्राप्ति हेतु सम्पत्ति, उपहार, दान, चंदा स्वीकार करना चाहे वह किन्ही भी विशेष विश्वासों अथवा परिस्थितियों का विषय हो या ना हो।
(A)“15. उद्देश्य पुर्ति के मार्ग :- उपरोक्त उद्देश्यों की पुर्ति हेतु निम्नलिखित एवं सम्बंधित कार्य करना ।
आवश्यक संस्थाओं की स्थापना करना एवं स्थापित संस्थाओं को सहयोग देना एवं सहयोग लेना ।
महासभा के उद्देश्यों को अग्रसर करने के लिए सभा, सम्मेलन, गोष्ठी, परिचर्चा, समारोह, प्रतियोगिता, प्रदशर्नी, खेलकुद, व्यायाम, योगा, चलचित्र, नाटक आदि विविध कार्यक्रम आयोजित करना अथवा करना ।
पत्र पत्रिकाएं, स्मारिकाएं एवं प्रचार साहित्य का प्रकाशन एवं वितरण करना ।
समाज के एवं महासभा के इतिहास के साथ समाज की उच्च गुणवत्ता को प्रदर्शित करने वाला साहित्य प्रकाशित करना, समाज के विशिष्ट गुणों के बारे में अनुसंधान करना, करवाना एवं उसका प्रचार करना ।
रोजगार व्यवसाय आदि के इच्छुक व्यक्तियों को मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान करना । इस हेतु शिक्षण, प्रशिक्षण, भ्रमण, प्रदर्शन, सेमिनार आदि का आयोजन करना अथवा करवाना ।
सहकारी, सरकारी संस्थाओं एवं न्यासों के माध्यम से व्यवसायिक एवं आवासीय सुविधाएं बढ़ाना ।
समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता करना अथवा करवाने की व्यवस्था करना । नैसर्गिक आपत्ती जैसे बाढ़, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूकंप, अग्निकोप आदि से ग्रस्त बंधुओं को सहयोग देना एवं इस हेतु ब्याज रहित अथवा कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना ।
समाज के असहाय, बेरोजगार, विकलांग, अस्वस्थ, निराश्रित एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को सहयोग देना, इस हेतु विभिन्न ट्रस्ट,संस्थाएं अथवा अवयव स्थापित करना अथवा करवाना ।
समाज में व्याप्त कुरीतियों व विसंगतियों को दूर कर स्वस्थ परंपराओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करना।
बालक, बालिकाओं व वयस्कों को सुसंस्कारित करने हेतु संस्कार शिविर आदि आयोजन करना एवं साहित्य सृजन करना ।
महासभा द्वारा स्थापित व संचालित अवयवों व्दारा यथा अन्य देशवासियों की सेवा करना ।
जिन संस्थाओं व्दारा समाज के लोगों का हित होता हो उनको सहयोग देना, ऐसी संस्थाओं का संचालन करना एवं राष्ट्रीय, सामाजिक व जन कल्याण के कार्यों में भाग लेना तथा सहयोग करना।
युवक युवती परिचय सम्मेलन, सामूहिक विवाह, सहकारी विवाह आदि स्थानीय, तहसील, जिला अथवा प्रादेशिक संस्थाओं द्वारा आयोजित करवाना । विवाह सहयोग केंद्र स्थापित करने की प्रेरणा देना ।
जरूरतमंद विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देना एवं दिलवाने की व्यवस्था करनाअ तथा इस हेतु ट्रस्ट स्थापित करना अथवा कराना ।
तकनीकी एवं उच्च शिक्षा हेतु छात्रों को मार्गदर्शन एवं सहयोग देना। इस हेतु ट्रस्ट एवं अन्य संस्थाएं स्थापित करना अथवा कराना ।
सहकारी, ओधोगिक एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को स्थापित एवं संचालित करने की प्रेरणा देना व उनमें सहयोग करना । इस हेतु अलग संस्थाएं या ट्रस्ट स्थापित करना अथवा कराना और उनके द्वारा समाज एवं देशवासियों की प्रगति में सहयोगी बनना ।
आतंकवाद, प्रदेशवाद, भाषावाद आदि से समाज संरक्षण का प्रयास करना ।
निर्धारित कार्यों एवं योजनाओं के लिए धनसंग्रह करना, आवश्यकतानुसार ब्याज सहित अथवा ब्याज रहित ऋण लेना । चल अथवा अचल संम्पति प्राप्त करना व धारण करना । संम्पति संबंधी क्रय, विक्रय, ऋण,बंधक,लीज आदि के अधिकार ग्रहण करना एवं तत्संबंधी नियम बनाना ।
वृहद शिक्षा केंद्रों वाले नगरों में उच्च शिक्षा हेतु आने वाले छात्र छात्राओं के लिए छात्रावासों का निर्माण करना अथवा छात्रावास निर्माण करने हेतु प्रेरित करना ।
समाज के उद्यमशील व्यक्तियों को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतू सहयोग प्रदान करना ।
अन्य ऐसे कार्य करना जिससे समाज की उन्नति हो ।“
16. अन्य सभी कार्य करना जो समिति के उपरोक्त लिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उचित प्रतीत हो ।
17. संस्था की समस्त चल अचल संपत्ति से प्राप्त सारी आय, कमाई अन्तनियमों में उल्लेखित सुमित के उद्देश्यों या लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पूर्णता: प्रयोग की जायेगी (D)“ तथा इसका कोई भी लाभ समिति के वर्तमान या निवर्तमान सदस्यों के ………. वर्तमान या निवर्तमान सदस्यों के माध्यम……………. एक या अधिक व्यक्तियों को भुगतान नहीं भुगतान नहीं किया जायेगा या लाभ प्राप्त नहीं करेगा या किसी प्रकार से समिति का कोई भी सदस्य समिति को किसी प्रकार की चल या अचल संपत्ति को कोई………… नहीं करेगा या इसकी……….. के आधार पर किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं करेगा ।”
18. संघ राज्य क्षेत्र दिल्ली में यथा प्रस्तुत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 की धारा 2 द्वारा……. कार्यकारिणी के सदस्यों को जिनको…….. कार्य सोपे गये….. के नाम, पता, व्यवसाय पदनाम निम्न प्रकार से हैं :-

राष्ट्रीय साधारण सभा के प्रस्ताव संख्या…….दिनांक 26.05.2013 के व्दारा जोङा ।
राष्ट्रीय साधारण सभा के प्रस्ताव संख्या ……….दिनांक 26.05.2013 के व्दारा विलोपित ।

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