महासभा का इतिहास

सीरवी समाज प्राचीन काल से जाहरुक एवं संगठित रहा है। सीरवी समाज के संगठन का इतिहास हमारे देश की आजादी से पहले का है। 21 जून, 1939 को समाज के जागरूक एवं प्रगतिशील बन्धुओं ने मारवाड़ सीरवी किसान सभा का गठन किया था एवं उसका विधान बनाया गया था। जिसके प्रथम अध्यक्ष श्री गुमानरामजी परिहार थे।

सन् 1945 में पूजनीय दीवान श्री हरीसिंहजी ने भी समस्त सीरवी समाज का सम्मेलन बुलाया था, जिसमें समाज की शिक्षा एवं विकास पर चर्चा की गई। फिर काफी समय की निष्क्रियता के पश्चात 1971 में समाज में पुनः जागृति आयी तथा बिलाड़ा में समस्त सीरवी समाज का बड़ा सम्मेलन बुलाकर अखिल भारतीय सीरवी महासभा का गठन किया गया, इसके अध्यक्ष श्रीमान माधवसिंहजी दीवान एवं महामंत्री जती मोती बाबा बनें। उन्होंने समाज के उत्थान एवं शैक्षिक प्रगति के प्रयास किये।

तत्पश्चात महासभा पुनः निष्क्रियता के दौर में चली गई। लम्बे समय पश्चात सीरवी समाज में पुनः जागृति का दौर आया एवं 18-20 मई, 1992 को मारवाड़ जक्शन सम्मेलन में अखिल भारतीय सीरवी महासभा का पुनगर्ठन हुआ तथा इसका विद्धान बनाकर 10 जून, 1993 को सेन्ट्रल सोसायटी एक्ट के तहत पहली बार महासभा का रजिस्ट्रेशन कराया। जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 5/24346/1993 हैं। इस महासभा के अध्यक्ष श्रीमान तेजारामजी गहलोत (भावी) एवं महामंत्री श्री मोतीसिंहजी परिहार (बिलाड़ा) चुने गये। इस कार्यकारिणी ने भी समाज के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

27 अप्रैल, 2000 में पुनः अखिल भारतीय सीरवी महासभा के चुनाव हुए, जिसमें सर्वसम्मिति से श्रीमान नैनारामजी परिहार (देसूरी) अध्यक्ष एवं श्री भूराराम जी परिहार (सुरायता) को महामंत्री बनाया गया। आपने भी मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के विभिन्न भागों में सीरवी। समाज में जागृति, शिक्षा एवं विभिन्न सामाजिक भवनों के निर्माण में अपना योगदान दिया एवं महासभा को सम्पूर्ण भारत वर्ष में पहचान दिलाई।

12 वर्षो के लम्ब अन्तरात के पश्चात पुनः सीरवी समाज में जागृति आयी एवं 8 मई, 2012 को सीरवी किसान छात्रावास पाली में अखिल भारतीय सीरवी महासभा के चुनाव श्रीमान चतरारामजी बर्फा (पूव जिला प्रमुख-पाली) चुनाव अधिकारी की देखरेख में सम्पन्न हुये। जिसमें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद पर श्रीमान प्रेमप्रकाश जी चौधरी (आगलेचा) सीनियर एडवोकेट जोधपुर, उपाध्यक्ष पद पर डॉ. श्री आर. एस . चौहान (मध्यप्रदेश) एवं श्रीमान भंवरलालजी चौहान (पाली) को महासचिव चुना एवं श्रीमान पी.पी. चौधरी को अपनी कार्यकारिणी को गठिन करने की सहमति प्रदान की गई। तद्नुरूप श्रीमान पी.पी. चौधरी साहब ने क्षेत्रीय सन्तुलन को ध्यान में रखते हुए निम्नानुसार कार्यकारिणी का गठन किया जिसमें कोषाध्यक्ष श्री चन्दारामजी भायल (महाराट्र प्रान्त), योजना सचिव श्री प्रभुलालजी मुलेवा (कर्नाटक प्रान्त), संगठन सचिव श्री फाऊलालजी परिहारिया (कर्नाटक प्रान्त), धर्म एवं समाज सुधार सचिव श्री गुणारामजी सोलंकी (पूर्व उपजिला प्रमुख), न्यास सचिव श्री रामलालजी सैणचा (गांधीधाम), न्यास सचिव श्री गणपतलालजी एडवोकेट (पाली), भवन निर्माण सचिव श्री प्रेमारामजी मुलेवा (चेन्नई), शिक्षा सचिव श्री फुटरमलजी काग (मारवाड़ जक्शन), महिला एवं बाल विकास सचिव श्री मोडारामजी सोलंकी (महाराष्ट्र), स्वास्थ्य सचिव श्री पुनारामजी भारमलजी राठौड़ (तमिलनाडु), उद्योग सचिव श्री हरिरामजी गहलोत (महाराष्ट्र), व्यापार सचिव श्री परसरामजी बर्फा (आंध्रप्रदेश), रोजगार एवं अवसर सचिव श्री मांगीलालजी सोलंकी (तमिलनाडु), कृषि सचिव श्री अभयरामजी परिहार (सोजत), समन्वय सचिव श्री मगनारामजी गहलोत (सूरत), परिचय सम्मेलन एवं सामूहिक विवाह सचिव श्री भूरारामजी चोयल (आंध्रप्रदेश), खेलकूद सचिव श्री धनराजजी पंवार (सेवानिवृत आर.ए.एस.), मनोरंजन एवं सांस्कृतिक सचिव श्री मनोहरलालजी मुकाती (मध्यप्रदेश), युवा संगठन सचिव श्री तेजारामजी लचेटा (महारष्ट्र), राजनैतिक मामलात सचिव श्री पुनारामजी भायल (गुड़ा। सूरसिंह), सुचना एवं तकनीक सचिव श्री हरीशजी मुलेवा (उत्तरप्रदेश), मिडिया सचवि श्री मंगल सैणचा (कर्नाटक)।

सीरवी समाज द्वारा अभिनन्दन एवं स्वागत के उपलक्ष्य में श्रीमान पी.पी. चौधरी ने स्वजातीय बन्धुओं। द्वारा महासभा के अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपने पर समस्त सीरवी समाज बंधुओं का तहेदिल से आभार व्यक्त किया नवगठित अखिल भारतीय सीरवी महासभा कार्यकारिणी की प्रथम बैठक 17 जून, 2012 को सीरवी किसान छात्रावास पाली में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता में हुई। जिसमें सामाजिक संगठन की रूपरेखा, सामाजिक चेतना, उच्च शिक्षा एवं राजनैतिक चेतना लाने हेतु समाज को संगठित करने पर बल दिया गया इस बैठक में महासभा का विधान जो सन 1992 में बनाया गया था। उसमें संशोधन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इसके लिए महासभा के अध्यक्ष श्री पी.पी. चौधरी को अधिकृत किया गया। अध्यक्ष महोदय ने पिछले 20 वर्षों में सीरवी समाज में आये परिवर्तनों के मध्य नजर सीरवी महासभा के विधान में समयानुकूल परिवर्तन करने हेतु नए विधान पर काम किया।

आपने समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जिम्मेदारी देने हेतु महासभा के विधान का विकेंद्रीयकरण किया जो निम्न प्रकार से हैं।
आपने अखिल भारतीय महासभा के संगठन का विकेंद्रीयकरण करते हुए महासभा के तीन स्तर में रखने की योजना बनायी
(1) राष्ट्रीय स्तर पर (2) प्रांतीय स्तर पर (3) परगना स्तर पर। इन तीनों स्तर (1) राष्ट्रीय कार्यकारिणी (2) प्रान्तीय कार्यकारिणी एवं (3) परगना कार्यकारिणी के पदों में समानता लाने के लिए उसको 32 पदाधिकारी के पदों में बांटा गया।

राष्ट्रीय महासभा के गठन में भी तीन स्तर होंगे :-

(1) राष्ट्रीय पदाधिकारी

(2) राष्ट्रीय संरक्षक सलाहकार

(3) विशेष आमंत्रित सदस्यगण।

इसी प्रकार परगना महासभा के गठन में भी तीन स्तर होंगे :-

(1) परगना पदाधिकारी

(2) परगना संरक्षक सलाहकार

(3) विशेष आमंत्रित सदस्यगण।

अब प्रश्न यह उठता है कि संरक्षक सलाहकार एवं विशेष आमंत्रित सदस्यगण में किन-किन को लिया जायेगा। जहां तक राष्ट्रीय महासभा का सवाल है तो (1) राष्ट्रीय महासभा के पदाधिकारी गण एवं (2) राष्ट्रीय संरक्षक सलाहकार के नामों की घोषणा हो चुकी है तथा राष्ट्रीय स्तर पर विशेष आमंत्रित सदस्य की घोषणा राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा कार्यकारिणी की राय लेकर की जायेगी। प्रान्तीय संरक्षक सलाहकार – इसमें सभी रजिस्टर्ड बडेरा के अध्यक्ष एवं रजिस्टर्ड शिक्षण संस्थाओं एवं ट्रस्टों के अध्यक्ष तथा जहां बडेर का रजिस्ट्रेशन नहीं है उस बडेर के कोटवाल इसमें शामिल होंगे। प्रान्तीय विशेष आमंत्रित सदस्यगण – इसके लिए प्रान्तीय कार्यकारिणी को यह अधिकार दिया जाता है कि प्रानतिय अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी की राय लेकर इसका गठन करेंगे।

इसी प्रकार परगना स्तर पर – परगना संरक्षक सलाहकार -इसमें उस परगने में आने वाली रजिस्टर्ड बडेररों के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष तथा बिना रजिस्ट्रेशन वाली बडेरो के जमादारी इसके सदस्य होंगे। परगणा विशेष आमंत्रित सदस्य -इसके लिए परगना कार्यकरणी को यह अधिकार दिया गया है कि परगना अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी की राय लेकर इसका गठन करेंगे। 17 जून, 2012 की मीटिंग सीरवी किसान छात्रावास पाली में आयोजित की गई थी जिसमें राष्ट्रीय महासभा की कार्यकारिणी ,एवं राष्ट्रीय संरक्षक सलाहकार तथा राजस्थान प्रान्त की प्रान्तीय कार्यकारिणी का गठन हो गया था और इसका अनुमोदन भी कर दिया गया था मगर इस मीटिंग में प्रान्तीय स्तर पर संरक्षक सलाहकार एवं प्रान्तीय विशेष आमंत्रित सदस्य और परगना संरक्षक सलाहकार एवं परगना विशेष आमंत्रित सदस्यों के गठन पर चर्चा नहीं की गई थी तथा इसको प्रस्ताव के एजेन्डे मैं नहीं रखा गया था। यदि किसी को इस पर एतराज नहीं होगा तो इसे विधान में संशोधन में शामिल कर लिया जायेगा। अखिल भारतीय सीरवी महासभा की कार्यकारिणी में 32 पदाधिकारियों एवं 32 संरक्षक सलाहकार का गठन किया जा चुका है तथा राष्ट्रीय स्तर पर विशेष आमंत्रित सदस्य सदस्य लेना बाकी है।

सम्पूर्ण सीरवी समाज को 8 प्रान्तों में बांटा गया है जो निम्न प्रकार से हैं :-

(1) राजस्थान (2) गुजरात (दमन, दादरानगर हवेली) (3) महाराष्ट्र (4) तमिलनाडु (पांडिचेरी) (5) आंध्रप्रदेश (6) मध्यप्रदेश-छतीसगढ़ (7) कर्नाटक केरल गोवा (8) दिल्ली एवं उतरी भारत। सभी 8 प्रान्तों को 54 परगना समितियों में बांटा गया है।

इस संगठन के 11 मुख्य उद्देश्य है। इस संगठन के निम्न कार्यों का सफलतापूर्वक संपादन किया :-

1 – सीरवी साहित्य रत्न पुरस्कार की स्थापना।
2 – समाज में अधीनस्थ संगठनों की स्थापना।
3 – सीरवी छात्रावास जोधपुर का निर्माण।
4 – सोजत सीरवी किसान छात्रावास का निर्माण।
5 – सीरवी शिक्षा विकास समिति राजस्थान का गठन।
6 – अखिल भारतीय सीरवी महासभा का विधान बनाकर उसका पंजीयन।
7 – सीरवी समाज को अन्य पिछड़ी वर्ग की अनुसूची में सम्मिलित करवाना।
8 – महासभा द्वारा समाज में पनप रही कुप्रथाओं पर प्रतिबंध के प्रयास।
9 – अखिल भारतीय सीरवी महासभा का उप-कार्यकाल पाली में स्थापित।

 

Note:- संस्थापक की अनुमति बिना इस वेबसाइट में से किसी भी प्रकार की लेखक सामग्री  की नकल या उदृघृत किया जाना कानून गलत होगा,जिसके लियें नियमानुसार कार्यवाही की जा सकती है।

Recent Posts