चैत सुद बीज का मेला बिलाड़ा

सीरवी जाति में चैत्र सुद बीज का दिन पावन दिवस के रूप में माना जाता है । विक्रम संवत् 1561 के चैत्र सुद बीज को श्री आई माता अंतर्ध्यान हुए थे तथा अखंड ज्योति में समा गए थे । उस दिन से यह दिन प्रतिवर्ष एक विराट मेले के रूप में मनाया जाता रहा है । जिसमें भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में बसे सीरवी व आई माताजी के भक्तगण भाग लेते हैं । इस दिन दीवान साहब का व बैल का बंधावा होता है । निकटवर्ती सभी सीरवी गांवों की ‘गैरे’ आती हैं । ‘गैर’ शहर के मुख्य मार्गो से होकर बडेर पहुंचती हैं । साथ में श्री आई माताजी के जीवन से संबंधित झांकियां भी निकाली जाती हैं । यह मेला बिलाड़ा ( जिला जोधपुर ) में भरता है । इस मेले में प्राय: सभी जाति वाले भाग लेते हैं । इस दिन पूरे शहर में महानगर के समान भीड़ लगती हैं । यह मेला सुबह से शाम तक चलता रहता है । लोग पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर तथा अन्य वाहनों से आते हैं । एक और बालक झूले तथा मिठाई का आनंद लेते हैं, तो दूसरी ओर बड़े व्यक्ति नृत्य का आनंद लेते हैं इस मेले में सभी आगंतुक व दर्शक भक्तगण मां श्री आईजी कि केसरदात्रि अखंड ज्योति के दर्शन करके लौटते हैं ।

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