समाज के मेले

राजस्थान की विविधतापूर्ण संस्कृति में यहाँ के मेलों का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान हैं। समय समय पर यहाँ कई मेले आयोजित होते हैं जिन में राजस्थान की अनोखी एवं अद्वितीय रंगीली संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती हैं। बिलाड़ा की पावन धरती पर भी कई मेले एवं उत्सवों का आयोजन होता हैं जिनमें से प्रमुख हैं – प्राचीन ग्रंथों एवं कथाओं के अनुसार भक्त प्रहलाद के पुत्र राजा विरोचन के दस रानियाँ थी। राजा विरोचन की मृत्यु के बाद उनके पीछे उनकी नौ रानियाँ सती हो गयी। उनमें से एक रानी को सती नहीं होने दिया गया क्योंकि उनके गर्भ में संतान थी। उस समय सती होने के बाद नगर के बाणगंगा तीर्थ पर उनकी याद में समाधी स्थल का निर्माण करवाया गया। नौ रानियों के सती होने के कारण ही इसे “नौ सती” का मेला कहा जाता है। उस समय से लेकर आज तक प्रतिवर्ष उन नौ सतियों की याद में बाणगंगा तीर्थ पर यह मेला भरता है। किसी ज़माने में यह मेला मारवाड़ की शान हुआ करता था। परन्तु जानकारी, जागरूकता एवं प्रसिद्धि हेतु प्रशासनिक सहयोग एवं नवाचारों के अभाव में धीरे-धीरे यह मेला केवल बिलाड़ा एवं आस-पास के कुछ गांवों तक ही सिमट कर रह गया हैं।

1. नौ सती का मेला

नौ सती मेले में उमड़े श्रद्धालु यह राजस्थान का सुप्रसिद्ध, एतिहासिक एवं सबसे प्राचीन मेला हैं। इस मेले का आयोजन भारतीय पंचांग के अनुसार चैत्र मास की अमावस्या को (मार्च-अप्रैल महीने में) बिलाड़ा नगर के बाणगंगा तीर्थ स्थल पर होता हैं। इस मेले में दूर दूर से हजारों लोग शामिल होते हैं। इस मेले का अपना एक विशेष एतिहासिक महत्त्व है।

2. बाणगंगा कार्तिक पूर्णिमा का मेला

यह मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा को नगर के बाणगंगा तीर्थ स्थल पर ही भरता है। यह मेला समूचे मारवाड़ में “गंगा माई का मेला” नाम से विख्यात हैं। इस दिन प्रातः काल भारी संख्या में श्रद्धालु बाणगंगा के पवित्र कुण्ड में स्नान करके अपने समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। ये परंपरा कई सदियों से चली आ रही हैं। इसी एतिहासिक महत्त्व के कारण बिलाड़ा को “दूसरा पुष्कर” भी कहा जाता है।

3. श्री आई माताजी के बीज के मेले

भारतीय पंचांग के वर्ष की चार बीजों (शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि या दूज) को आई माताजी की मुख्य बीज या बड़ी बीज माना जाता है। इन अवसरों पर भारत के कोने – कोने से आई माताजी के मंदिर (बढ़ेर) पर हजारों श्रद्धालु आते है और माताजी के दर्शन करके मन्नत मांगते हैं। ये चार बीज निम्न प्रकार से है-

1- चैत्र सुद बीच का मेला – बिलाडा़
2- चैत्र बदी बीच का मेला – नारलाई
3- अमर हुतात्मा स्मारक मेला – बिलाडा़
4- देवझूलनी एकादशी मेला।

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