आये हम सब मिलकर एक बार सभी जीवों के कल्याणार्थ गुरू महाराज से निवेदन करे……

July 4, 2020
सभी सीरवी समाज के बुद्धिजीवियों, पुण्य शालियो को घीसाराम सीरवी बिजोवा का स्नेह भरा रामराम,प्रणाम कल गुरू पूर्णिमा का पावन पर्व है।हम सब इस संसार में आत्म कल्याण के लिये गुरू की चरण का सहारा लेते हैं ।भव सागर से तरण तारण के लिए भी सांसारिक गुरू की आवश्यकता होती है । आज विश्व में…

हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं ?

June 12, 2020
*हम मंदिर में घन्टी (टंकोर)क्यों बजाते हैं?* अक्सर छोटे बङे सभी मंदिरों में प्रवेश द्वार के पास ऊँचाई पर एक या अधिक घंटियाॅ (टंकोर)लटकी रहती हैं ।मन में श्रद्धा-भक्ति और आस्था का भाव लेकर श्रद्धालु मंदिर-प्रवेश करते ही घंटी (टंकोर) बजाता है और फिर भगवान के दर्शन,पूजा-पाठ और प्रार्थना स्तुति के लिए आगे बढ़ता है…

हम दीपक क्यों जलाते हैं?

June 11, 2020
हम दीपक क्यों जलाते हैं? अंधकार को हरने की सबसे इकाई 'दीपक ' है ।दीपक हमारी अलौकिकमयी प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है ।युगों- युगों से कुम्हार की चाक से निखरता हुआ मटमैली चिकनी मिट्टी की उपज यह दीपक कठोर अग्नि परीक्षा से गुजर कर एक साधारण सी काया लेकर मानव तक पहुंचता है ।दीपक जीवन…

मंगल परिणय के पश्चात पछतावा क्यों ?

June 7, 2020
कुंवारे को उमावा व परणियो को पछतावा। पता नहीं इस कहावत के पीछे क्या हकीकत हैं या यह कहावत कैसे प्रचलित हुई जो भी कहावत बनती हैं वो अनुभव के आधार पर बनती हैं उन्हें झुठी या मन गढंत ठहराना भी उचित नहीं। कहावतें प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षाप्रद होती हैं। अतः चिंतन करने की आवश्यकता…

हमारी संस्कृति आज के इस वैश्विक महामारी कोरोना के भयंकर प्रकोप से बचाने का कार्य कर रही है।

March 20, 2020
।।सांस्कृतिक मूल्य और नारी सम्मान ।। सर्वप्रथम मैं अपने राष्ट्र के उन सभी ऋषि मुनियों,मनीषियों,महान ग्रन्थों के रचनाकारों,संतो और पुरखों को कोटि-कोटि चरण वंदन करता हूँ जिन्होंने हमारी महान संस्कृति को बनाया और उस संस्कृति के ऐसे मूल्यों की परम्पराओ को अपनाया,जिससे मानव जीवन सुखकारी और मंगलकारी बन जाता है।संस्कृति के संस्कार जीवन को स्वर्णिम…

एक प्रेरणाप्रद कहानी तलाश खुशी की

March 1, 2020
एक बार एक हष्ट-पुष्ट  किन्तु निराशा के घोर अंधकार में डूबा हुआ व्यक्ति एक पेड़ के नीचे बैठा था।उसी पेड़ की डाल पर आकर एक बुलबुल बैठ गई।उसने देखा कि नीचे एक व्यक्ति  बैठा है।बुलबुल ने उस निराश व्यक्ति से पूछा कि,"तुम दुःखी क्यो हो?" व्यक्ति ने जवाब दिया कि ,"मैं अपनी जिंदगी की राह…

हम और समाज !

February 24, 2020
हर रोज हमारा समाज नवीन विकृतियों से झूझ रहा है, इसका सीधा सम्बंध हमारे मार्गदर्शन और संस्कार पर प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा कर रहा है, आधुनिक युग की प्रणाली का परिणाम प्रत्येक व्यक्ति की मनीषा से प्रदर्शित हो जाता है, वर्तमान समाज का व्यक्ति अपने मूलभूत मौलिक कर्त्तव्यों को भूल कर पाश्चयात सँस्कृति के पथ पर…

समाज मे नए Revolutions की नींव बन सकता है intercaste marriage:—–

February 19, 2020
मैं अपने अनुभवों और अपने कुछ frndz के साथ हुई चर्चा के आधार पर लिख रहा हूं। मेरे लिए यह परेशान करने वाली बात है कि आज के युग में जहां आधुनिकता life के हर पहलू पर असर डाल चुकी है, वहीं marriage में धर्म और जाति का बंधन अभी भी कट्टरता के साथ बरकरार…

नैतिक पतन की राह पर युवा पीढ़ी.

एक शिक्षक और एक अभिभावक के रूप मे मेरे मन में आज के हालात को देखकर मन-मस्तिष्क में अनगिनत प्रश्न उठते है कि आज की युवा पीढ़ी को क्या हो गया है?वह किस राह पर जा रही है?वह अपने सांस्कृतिक आदर्श मूल्यों से परे क्यों जा रही है?पाश्चात्य मूल्यों की ओर इतना लगाव क्यो है?वासना…

आखिर नारी क्यों है असुरक्षित???

February 18, 2020
अपना भारत जहाँ नारियों को देवी का दर्जा दिया जाता था औऱ आज भी इस राष्ट्र में नवरात्रि के पर्व नारी शक्ति को समर्पित कर मनाया जाता है औऱ हर शुभ मांगलिक कार्य पर बालिकाओ को खाना खिलाकर शुभारंभ माना जाता है।उसी राष्ट्र में वे आज असुरक्षित महसूस करती है। कलयुग की काली छाया दिनों-दिन…

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