विधायक

भूतपूर्व विधायक स्व. श्री तेजाराम गहलोत

राजस्थान विधान सभा 1957 में श्री तेजाराम गहलोत दूसरी तथा तीसरी राजस्थान विधान सभा में सोजत निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रहे। श्री तेजारामजी अपनी विनम्र, ईमानदार, हर समय दीन दुखियों कि सेवा में दिन रात मोंन साधक की तरह कार्यरत छवि के लिए सुविख्यात हें। हम सब गोरवान्वित हें, एसे व्यक्ति को सहस्र औदीच्य सीरवी समाज में पाकर। विधायक श्री तेजाराम गहलोत का जन्म 1 जनवरी, 1925 को जोधपुर जिले के भावी ग्राम में हुआ। आपने बी.कॉम व एलएल. बी. की उपाधियां प्राप्त की। आप विधान सभा के कार्यकाल के दौरान आप सरकारी आश्वासनों सम्बन्धी समिति, अधीनस्थ विधान सम्बन्धि समिति तथा याचिका के सदस्य रहे। आप अनेक प्रवर समितियों के भी सदस्य रहे। श्री गहलोत अपने सार्वजानिक जीवन में राजस्थान ग्रामीण जल बोर्ड , जिला पाली के सदस्य, मण्डलीय रेल्वे उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति अजमेर मंडल तथा पश्चिम रेल्वे, मुम्बई के सदस्य रहे। आप भूमि सुधार तथा सिंचाई सम्बन्धी परामर्शदात्री समितियों के सदस्य भी रहे। श्री गहलोत लगभग 7 वर्ष पाली जिला कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। राजनीती में आने से पूर्व आप राजकीय सेवा के दौरान पुलिस विभाग में सेवारत रहे।

श्री तेजाराम गहलोत का दिनांक 18 मई, 2003 को निधन हो गया।

भूतपूर्व विधायक स्व. चन्द्रसिंहजी बर्फा

वेब पेज निर्माणाधीन है। हमारा प्रयास निरंतर जारी हैं। शीघ्र ही आपके सम्मुख यहाँ पर विस्तृत इतिहास उपलब्ध होगा।

भूतपूर्व विधायक स्व. श्री बेनाराम गहलोत

श्री बेनारामज गहलोत का जन्म 1928 को बगड़ी नगर में शेरारामजी गहलोत के घर पर हुआ था आपकी माता श्री का नाम श्री मती धापुबाई है। आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि उन्नत थी क्योंकि आपके पिता श्री बगड़ी नगर गाँव के चौधरी थे। आप 1952 से 1957 तक जोधपुर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक के मेनेजर पद पर कार्यरत रहें। राजनैतिक व सामाजिक जीवन व उपलब्धियाँ :- सोभाग्य से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विधानसभा में सीरवी जाति का प्रतिनिधित्व सदैव रहा है। आपने सन् 1957 में खारची विधान सभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा व चुनाव जीतकर आप खारची विधानसभा से विधायक रहे। आपने आपके निकटतम प्रतिद्वन्दी जोजावर ठाकुर श्री केशरसिंह को पराजित किया । आपके राजनैतिक गुरु बलदेवराम मिर्धा थे। आपके कार्यकाल में स्कूलों, सड़कों, एनीकटों आदि का निर्माण हुआ था। आप अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे । श्री गहलोत की नीति किसानों व गरीबों को ऊपर उठाने की रही। आपने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की की बगैर किसान व मजदूर को खुशहाल किए बिना देश व प्रदेश का विकास संभव नही। आपने किसानों की खुशहाली कि लिए खेती पर बल दिया व कृषकों की दशा सुधारने के लिए उन्हें सदैव वेज्ञानिक ढंग से कृषि करने के लिए प्रेरित करते रहे । आप अत्यंत मृदुभाषी व मिलन सार व्यक्तित्व के धनी होने कारण आपकी गरीबो मे अच्छी पकड़ रही थी ।

सन् 1962 में आपने पुनः खारची विधान सभा क्षेत्र से चुनाव‌ लड़े परन्तु सफल नहीं हुए अतः आपने समाज उत्थान हेतु कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। समाज शिक्षा, धार्मिक, अत्याचार, सामाजिक कुरीतियों आदि के क्षेत्र में अभूतपूर्व सक्रिय सहयोग दिया। आप अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे। व्यक्तित्व मूल्यांकन :- श्री बेनारामजी गहलोत सरल तथा सहृदयी स्वभाव वाले हैं। आप मानते हैं कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में निडर होना चाहिए। आप पुरुषार्थ करने पर बल देते है। आपका मानना है कि एक कुशल राजनेता में समग्र बुद्धि होनी चाहिए। समाज के वर्तमान विकास से आप अति प्रसन्न हे।

श्री बेनारामजी गहलोत का दिनांक 24 अप्रैल 2008 को ‌निधन हो गया ।

भूतपूर्व विधायक स्व. श्री मोती महाराज

वर्तमान सन् 2002 में जती भगा बाबा के पूर्व जती श्री मोती बाबा एक सफल राजनेता, कूटनीतिज्ञ व समाज सुधारक हुए हैं। इनका पालन-पोषण राणावास में हुआ था। ये बचपन में बहुत नटखट थे। एक बार राणावास में भी ऊँटो के झुण्ड की भगदड़ में कुचल लिये गये। तब इनके बड़े भाई श्री जेतारामजी जो इनके साथ में ही रहते थे। बेहोश मोती महाराज को कंधो पर बैठाकर बिलाड़ा श्री आईजी मंदिर ले जाकर हमेशा हमेशा के लिए श्री आईजी को समर्पित कर दिया। उस समय वहां शोभा बाबा बडेर की व्यवस्था संभालते थे। उन्होंने माँ से मोती महाराज के ठीक होने की प्रार्थना की। मृत सी अवस्था में पहुंचे श्री मोती महाराज को श्री आईजी ने जीवनदान दिया। रानी के पास भगवानपुरा गाँव में मोती महाराज के सगे भती श्री गणेशरामजी ने बताया कि मोती महाराज की माँ द्वारा बच्चों सहित नाता करने के कारण वे उपेक्षा व प्रताड़ना के शिकार रहे परन्तु मोती महाराज शारीरिक रूप से बहुत ही आकर्षक एवं हट्टे कट्टे थे। बिलाड़ा बडेर में दीवान हरिसिंहजी के समय मोती।महाराज की निरंकुशता व तेज तर्रारपन के कारण स्वयं दीवान साहब भी कई बार परेशान हुए थे। दीवान साहब से अनबन होने के कारण वे बिलाड़ा त्यागकर राणावास आ गए। राणावास आकर सीरवी समाज के बारे में जानकारी प्राप्त करने के पश्चात इन्होंने पंच पंचायती व राजनीति में भाग लेना शुरू किया। “स्वतंत्र पार्टी से इन्होंने सन् 1957 में बाली सुमेरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा व विजयी रहे। मोती महाराज ने समाज को सामन्तों एवं ठाकुरों द्वारा अत्याचार करने की स्थिति में संघर्ष करने की सिख दी एवं वे स्वयं इस प्रकार के मामलों में हस्तक्षेप कर समाज को सहायता पहुँचाने में अन्तिम साँस तक प्रयत्नशील रहे। हालाँकि दीवान हरिसिंहजी इन्हें जती बनाना नहीं चाहते थे व दीवान साहेब ने लुम्बा बाबा को जती भार सोंपा था परन्तु अन्त में मोती महाराज के प्रभाव व होशियारी के कारण उन्हें जती पद देना पड़ा। कालांतर में मोती महाराज ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इन्होंने रानी व इसके आसपास के स्थानों को उनकी कर्मभूमि बनाया। समाज की पंच पंचायती में उनकी उपस्थिति अनिवार्य होती थी। बारह गाँवो के चौथाला की शक्ति के बराबर ये अकेले शक्ति रखते थे। रानी में मोती महाराज ने उनके निवास के बिलकुल सामने काफी जमीन समाज को दिलवायी जिस पर वर्तमान में एक भव्य छात्रावास बना हुआ है। “भगवानपुरा गांव में 650 बीघा जमीन समाज के हित में प्राप्त करने का श्रेय इनको ही जाता है।” इन्होंने समाज को नई दिशा दी व अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा दी। मोती महाराज का यूँ तो सम्पूर्ण सीरवी समाज पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव था परन्तु बिजोवा चोथाली, बाली चोथाली, चाणोद पट्टी, नाड़ोल चोथाला व देसूरी चौथाला पर इनकी मजबूत पकड़ थी। मोती महाराज में चतुराई व आक्रोश की निति भरी हुई थी अतः इनकी स्वेच्छा का समाज में सम्मान होता था। वे अच्छे मनोवैज्ञानिक भी थे मोती महाराज श्री आईजी के परम भक्त व वचनसिद्ध थे। दीवान हरिसिंहजी भी कभी कभी इनकी अनुपस्थिति में इनकी वचनसिद्धि की प्रशंसा करते थे। वर्तमान दीवान श्री माधवसिंहजी इनका बहुत सम्मान करते थे। जती मोती बाबा सीरवी महासभा के महामंत्री भी थे। “इन्होंने समाज की सेवा करते करते समाज में अपना नाम धन्य किया।

 

जब उनका निर्वाण काल नजदीक आया इन्होंने श्री आईजी की अखण्ड साधना की। पूरी जिन्दगी में भूलवश कुछ निरंकुश कार्यो के लिए आँखों में अविरल अश्राधारा लिए श्री आईजी से भक्तियुक्त याचना की। दीवान साहेब ने इनकी सेवा सुश्रुषा की उत्तम व्यवस्था की। मोती महाराज के भतीजे श्री गणेशरामजी ने बताया कि मोती महाराज के अन्तिम काल में लाशी, खीमा महाराज बाली तथा गणेशरामजी ने उनकी सेवा की। मोती महाराज ने श्री आईजी की अखण्ड ज्योति के समक्ष देह त्याग दी। समाज ने एक हीरा खो दिया। उनके शिष्यों ने उनके सम्मान में छात्रावास में मोती महाराज की मूर्ति की स्थापना की। दीवान साहब के कर कमलों से इस महापुरुष की मूर्ति का अनावरण किया गया।

भुतपूर्व विधायक स्व. श्री खंगारसिंह जी सिन्दड़ा

श्री खंगारसिंहजी सिन्दड़ा का 5 मई 1926 को पाली जिले के मारवाड़ जक्शन तहसील गांव देवली आऊवा में सामान्य किसान श्री किशनारामजी सिन्दड़ा के घर हुआ। माता श्रीमती कन्याबाई के स्नेह आंचल हरे भरे परिवार मे लालन पालन से हुआ । आप बाल्यावस्था से ही तेज तर्रार थे । आपने कक्षा 5वीं तक महाजनी शिक्षा ग्रहण की । आपका शुभ-विवाह गांव देवली आउवा में ही श्रीमती ओखी बाई के साथ सम्पन हुआ। आपके सफल दाम्पत्य जीवन में 12 नवम्बर 1960 भगवती चौधरी के रूप में पुत्री प्राप्त हुई। राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन एवं उपलब्धियाँ  श्री खंगारसिंहजी सर्वप्रथम 1952 में तेजाराम गहलोत के लिए चुनाव प्रचार किया। आप सर्वप्रथम 1957 को ग्राम देवली आउवा के सरपंच चुने गये। आपका सरपंच का कार्यकाल 1957 से 1962 तक रहा। 1962 में जनसंघ पार्टी के टिकट से सांसद का चुनाव लड़ा तथा 80,000 मत प्राप्त कर विजयी हुए व जिले में अपनी एक पहचान बनाई। आप सन् 1958 से 62 तक एग्रीकल्चर कमेटी के चेयरमेन रहे। 1977 में आपने सांसद के लिए जनता पार्टी के उम्मीदवार अमृत नाहटा के पक्ष में प्रचार किया। आपने सन् 1977 में ही खारची विधान सभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़ा तथा विजयी रहे। 1985 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा तथा विजयी रहे। सन् 1993 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से विधायक का चुनाव लड़ा तथा विजयी रहे। आपके इस लम्बे विधायक कार्यकाल में आपने सड़को का डामरीकरण तथा विद्युत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करवाया । आपने मारवाड़ जंक्शन तथा सोजत में सीरवी छात्रावास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीरवियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में लेने के लिए विशेष संघर्ष किया। आपका कार्यकाल विकास के लिए जाना जाता है। व्यक्तित्व मूल्यांकन काकू के नाम से प्रसिद्ध श्री खंगारसिंहजी ओजस्वी तथा निर्भिक नेता थे। किसानों तथा गरीबों के पक्के हिमायती श्री खंगारसिंह जी के वरिष्ठ नेताओं से हमेशा से अच्छे संबंध रहें। समाज को आगे बढ़ाने के लिये तथा सामाजिक एकता के लिए आपने कोई कसर नहीं छोड़ी । सीरवियों की कम शिक्षा तथा प्रशासनिक नोकरीयों के बारे में हमेशा चिंतित रहते थे । आपका आंकलन तथा व्यक्तियों के मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान था । समाज आपके कार्यों पर गर्व अनुभव करते हुये आनंद महसूस करता है।

श्री खंगारसिंह जी का स्वर्गवास 20 जून 2009 को हो गया ।

भूतपूर्व विधायक स्व. श्री सुखलाल सैणचा

श्री सुखलाल सैणचा का जन्म 1935 में पुरखारामजी के घर अणचीदेवी की कोख से पिपलियां कला में हुआ। इसने पिताश्री पुरखारामजी प्रारम्भ से ही संघर्षशील थे तथा भारतीय स्वतन्त्रता के महान विभूति लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के दाह संस्कार में सम्मिलित हुए थे। श्री सुखलालजी मेट्रिक की शिक्षा प्राप्त कर मुंशी, पंचायत के केशियर की नोकरी प्राप्त की।राजनैतिक जीवन :- आपने 1963 में सरपंच का चुनाव लड़ा परन्तु हार गए। 1963 में कॉपरेटिव सोसायटी के चेयरमेन बने। 1965 में इनको कॉपरेटिव बैंक के जिला स्तरीय डायरेक्टर बना दिया गया। आप जैतारण – सोजत कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर तथा विकास बैंक पाली के चेयरमेन भी रहे। आप जिला कांग्रेश के महामंत्री भी रहे तथा भारतीय राजनीती की महान नेता स्व. इन्दिरा गाँधी से इनका व्यक्तिगत सम्पर्क रहा। 1972 में जैतारण विधान सभा क्षेत्र विधायक का चुनाव लड़ा तथा विजय रहें। 1977 में रायपुर विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेश के टिकिट से चुनाव लड़ा विजयी रहें। सन् 1980 में रायपुर विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस से टिकिट पर चुनाव लड़ा तथा अपने निकटतम प्रतिदद्वन्दी श्री हीरासिंह चौहान को हराया। 1984 में निर्दलीय चुनाव लड़ा तथा मात्र 109 वोटों से हारे परन्तु कांग्रेस के नेताओं को यह दिखा दिया कि उनके अस्तित्व को चुनोती देना खतरे से खाली नहीं है। 1990 में आप कांग्रेस के टिकिट पर भाजपा लहर के कारण हार गये। 1993 में रायपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकिट से पुनः विजयी रहे। 1998 में निर्दलीय चुनाव लड़ा तथा पुनः कांग्रेस को उनकी ताकत का अहसास करवाया।व्यक्तित्व मूल्यांकन :- सुखलालजी सैणचा स्वनिर्णयी व्यक्ति है तथा स्वयं के फैसले पर अडित रहते है। ये बेबाक नेता है तथा स्पष्टवादी है। वर्तमान की राजनीती में ऐसे व्यक्तियों की कार्य शैली सफल रहती है। इनके कार्यकाल में इन्होंने काश्तकरों की तहेदिल से सहायता की तथा स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में विकास की कोई कसर नहीं छोड़ी । ये परिणामों से कभी नहीं डरते तथा वरिष्ठ नेताओं के सामने बनावटीपन बिलकुल नहीं रखते। नोकरशाही से अधिकाधिक काम लेने के इच्छुक है। समाज में शिक्षा के क्षेत्र में विशेष कार्य किया तथा समाज के लोगों का हित किया। समाज को अभी भी आपसे आशा है। समाज आपमें उत्तम स्वास्थ्य तथा उज्जवल भविष्य की कामना करता हैं।

भूतपूर्व विधायक श्री मिश्रीलालजी राठौड़

श्री मिश्रीलाल का जन्म 5 अप्रैल 1951 को भबुतरामजी राठौड़ के घर बिलाड़ा में अबजी का झालरा नामक कुएं पर हुआ। इनकी मातुश्री का नाम हिंगी देवी है। आपकी शिक्षा बी.कॉम., एल.एल. बी. है। इनके पिता श्री बिलाड़ा में राजस्व इकट्ठा करने वाले गांव चौधरी थे। ये एन.सी.सी. के अच्छे केडेट भी रहे हुये है। राजनैतिक तथा सामाजिक जीवन :- आप 1975 में किसान यूनियन के सदस्य बने। आपने फरवरी 1990 में जनता दल तथा भारतीय जनता पार्टी के टिकिट बंटवारे के समझोते के बिलाड़ा विधान सभा क्षेत्र जनता दल के टिकिट से चुनाव लड़ा तथा विजयी रहे। अक्टूबर 1990 में जनता दल बिखर गया तथा आपने दिग्वीजयसिंह के नेतृत्व में जन भावना की कद्र करते हुये भारतीय जनता पार्टी का समर्थन दिया उस समय आपको 24 नवम्बर 1990 से 25 दिसम्बर 1990 तक राजस्व उपमंत्री जैसा महत्वपूर्ण प्रभार मिला। दीवान साहेब श्री माधोसिंह के पश्चात् आप दूसरे व्युक्ति जिन्हें मंत्री पद प्राप्त हुआ। 1993 में आपने पुनः भारतीय जनता पार्टी के टिकिट पर विधान सभा क्षेत्र बिलाड़ा से चुनाव लड़ा परन्तु जातिगत समीकरण के कारण आप जीत नहीं पाए परन्तु आपका हौंसला बुलन्द है। आपने 1977 में ही आपने सीरवी नवयुवक मंडल की सदस्यता ग्रहण की। आपके विधान सभा सदस्य के रूप में कार्यकाल के दौरान सड़क, अस्पताल, विद्यालय आदि के क्षेत्र में प्रगति हुई। आप जोधपुर जिले से महासभा के सदस्य भी है। व्यक्तित्व मूल्यांकन :- आप गम्भीर चिन्तनशील व्यक्ति हैं। आधुनिक राजनीती की उटा पटक तथा अन्य परेशानियों को आप बारीकी से जानते ही। आप समाज के बारे में भी गहन चिन्तन करते है। आपसे समाज को अनेक प्रकार की आकांक्षा है, समाज को पूर्ण विश्वाश है कि आप इसमें खरे उतरेंगे। आपके अनुसार व्यक्ति को दूसरे के भरोसे न रह कर स्वयं की अपरिमित शक्ति का विकास करना चाहिए।

पूर्व विधायक दीवान श्री माधवसिंह जी

श्री आईमाताजी के परमभक्त, वचन सिद्ध, सादगी की प्रतिमूर्ति, समर्पित जननायक, निर्विकार व्यक्तित्व, सरल सौम्य स्वभाव, स्पष्टवादिता के प्रबल पक्षधर, अमृत वर्षा करने वाली मधुसिक्त वाणी तथा विलक्षण प्रतिभा के धनी आईपंथ के वर्तमान धर्मगुरु परम पूजनीय प्रातः वंदनीय श्री माधवसिंहजी दीवान साहब का जन्म दिनांक 18 जनवरी 1943 को दीवान साहब श्रीमान हरिसिंहजी के घर धर्मपरायण माता श्री माजीसा राजकुंवर झालीजी की कोख से हुआ था । बाल्यकाल में ही अपने पिता दीवान श्री हरिसिंहजी के आकस्मिक निधन के कारण 4 वर्ष की अल्पायु में ही आपको आश्विन सुदी 3 विक्रम संवत् 2003 को ‘दीवान’ पद पर आसीन होना पड़ा । इस तरह से पांच सौ वर्ष पूर्व श्री आईमाताजी द्वारा प्रवर्तित आई पंथ की दीवार परम्परा की कड़ी में 19 वें दीवान के रूप में आपका नाम भी जुड़ गया । आपकी प्रारंभिक शिक्षा आपके माताजी की देखरेख में बिलाड़ा के स्थानीय विद्यालय में हुई । आपने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए सन् 1958 ई. में मेयो कॉलेज, अजमेर में प्रवेश लिया । आप बाल्यकाल से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे । अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए आपने सन् 1963 में आपने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पिलानी से अभियांत्रिक में स्नातक की उपाधि (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, यांत्रिक शाखा) प्रथम श्रेणी में हासिल की । तदंतर इसी विषय में विशेष तकनीकी ज्ञान अर्जित करने के लिए आपने जापान में अध्ययन किया और वहां से ही मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल कर स्वदेश लौटे । आपका विवाह 22 वर्ष की आयु में दिनांक 15 फरवरी 1965 को मध्य प्रदेश के मुकसुदनगढ़ की राजकुमारी देवेंद्रकुमारीजी के साथ हुआ । सफल दाम्पत्य जीवन जीते हुए आप दो पुत्रों को दो पुत्रियों के पिताश्री बने । राजशाही के गौरवशाली जीवन की सुखद छत्रछाया में पले-बढ़े दीवान साहब श्री माधवसिंहजी ने समय की नजाकत को समझते हुए रियासतों के एकीकरण का सम्मान करते हुए राजशाही से लोकतंत्र की ओर दृढ़तापूर्वक कदम बढ़ाया । सामाजिक सुधार हेतु आपने सन् 1971 में ‘सीरवी महासभा’ की स्थापना की । आपने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन् 1971 में स्वतंत्र पार्टी के बैनर तले पाली लोकसभा का चुनाव लड़कर की । लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली । इसके बाद आप कांग्रेस में शामिल हो गए और आपने सोजत विधानसभा क्षेत्र से सन् 1977, 1980, 1985, 1993 और 1998 में लगातार पांच बार रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता और राजस्थान विधानसभा में सोजत विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया । राजनीतिक क्षेत्र में‌ आपने अनेक‌ महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, यथा –

* सन् 1977 से 1980 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य ।
* सन् 1983 से 1985 तक सभापति-जनलेखा समिति, राजस्थान सरकार ।
* सन् 1988 से 1990 तक राजस्थान सरकार में अकाल राहत, मरू विकास, पर्यावरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, वन, विशिष्ट योजना संगठन व इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री रहे।
* सन् 1990 से 1992 तक शीर्ष वित्त समिति राजस्थान सरकार के सदस्य ।
* सन् 1991 से 1993 तक राजकीय उपक्रम सुधार समिति राजस्थान सरकार के सदस्य ।
* 7 मार्च 1994 से 30 सितंबर 1994 तक राजस्थान आवास मंडल के कार्यकलापों की जांच समिति के सदस्य ।
* सन् 1994 से 1995 तक अधीनस्थ विधान सम्बंधी गृह समिति के सदस्य ।
* सन् 2001 से 2002 तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे ।
आप राजस्थान सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के काबीना मंत्री के पद पर भी आसीन रहे ।

आप आईमाताजी के परम भक्त हैं और आई पंथ को मानने वाले समस्त आईपंथानुयायियों के लिए परम पूजनीय एवं प्रातः वंदनीय हैं । आप सत्यनिष्ठ, कर्तव्यपरायण, उदारमना एवं स्पष्टवादी है । आप के मुख पर हमेशा आत्मविश्वास व मुस्कुराहट का भाव झलकता रहता है । आप अपने जीवन में घटने वाली हर घटना को ईश्वरीय इच्छा मानकर सहज ही स्वीकार करते हैं और जीवन में यश-अपयश, मान-सम्मान, सुख-दुख, अनुकूल-प्रतिकूल हर परिस्थिति को श्री आईमाताजी की मर्जी मानते हैं । दुख से पीड़ित इंसान की मदद करने के लिए आप सदैव आगे रहते हैं । आईमाताजी के भक्त दीवान साहब में माताजी का प्रतिरूप देखते हैं और उनकी वाणी के फलीभूत होने में अटूट विश्वास रखते हैं ।

आपने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती देवेंद्रकुमारीजी की आकस्मिक देहावसान के पश्चात अपना जीवन पूर्ण रुप से जनसेवा, समाजसेवा और धर्मापदेश के लिए समर्पित कर दिया । आपका व्यक्तित्व अपनी ईमानदार, निष्कलंक एवं उज्जवल छवि की एक ज्वलंत विशाल है । वैचारिक संकीर्णता से कोसों दूर रहने वाले दीवान साहब श्री माधवसिंहजी ने राजनीति के साथ ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है । आई पंथ के दीवान के रूप में आपने अब तक राजस्थान तथा देश के अन्य प्रमुख नगरों में श्री आईमाताजी के सैकड़ों मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा अपने कर-कमलों से की है । आप धार्मिक आयोजनों में अपने प्रवचन में समाज के लोगों को श्री आईजी की बेल के नियमों का पालन करने, चार प्रमुख बीज पर्वों के अवसर पर आईमाताजी के धर्मरथ (भैल) व मंदिर में जाकर माताजी के दर्शन करने, घर में बड़े-बुजुर्गों का आदर व उनकी सेवा करने, घर में धार्मिक वातावरण बनाए रखने तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा व संस्कार देने पर विशेष रूप से बल देते हैं । आप श्री के दर्शन हेतु श्री समाज के लोग हर पल लालायित रहते हैं । महान प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी परमपूज्य धर्मगुरु दीवान श्री माधवसिंहजी पर आईपंथ के अनुयायियों को अत्यंत गर्व हैं ।

विधायक श्री केसाराम जी चौधरी

श्री केसाराम चौधरी का जन्म 21 जनवरी 1952 को मारवाड़ के धनला नगर में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। माता श्रीमती कुकी देवी व पिता श्री वनाराम जी चौधरी के लाड प्यार में आपका बचपन बीता। आपने माध्यमिक तक की शिक्षा बाली में प्राप्त करने के उपरान्त इलेक्ट्र्शियन में आई.टी.आई.का डिप्लोमा पाली से ग्रहण किया । शिक्षा के साथ साथ आपने एन.सी.सी.में रूचि दिखाते हुए निडरता ग्रहण की। आप बचपन से ही मिलनसार व्यक्तितव से धनी थे। आपने मारवाड़ जंक्शन में व्यापार आरंभ किया। आपका राजनितिक जीवन खारची के पूर्व विद्यायक श्रीमान खँगारसिंह जी के इर्द गिर्द आरम्भ होता हैं। आपने राजनितिक जीवन में प्रथम बार ग्राम पंचायत चवाडिया में वार्ड पंच के पद में 1981 से 1986 तक निवार्चित हुए। आप 1988 से 1993 तक गृह पंचायत चवाडिया में सरपंच के पद पर आसीन रहे। साथ ही इसी कार्यकाल के समय आप मारवाड़ जंक्शन पं.स. में उप-प्रधान पद पर भी आसीन रहे। सन् 1995 से 1998 तक आप प.स.मा.ज. में सदस्य के पद पर रहे। आपका राजनितिक जीवन निखर रहा था। आप निस्वार्थ ईमानदारी व निडरता के साथ अपने राजनितिक जीवन में सेवा कर रहे थे। उसी का प्रतिफल आपको सन् 1998 से 2003 तक आप खारची विधासभा क्षेत्र से विधायक के पद पर भारतीय जनता पार्टी दल से विजयी बने। आप सन् 1998 से लगातार प्रदेश कार्यकारिणी समिति भाजपा के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है। आपको भाजपा पार्टी ने फिर से 2003 में विधायक पद पर उम्मीदवार बनाया पर विफल रहे लेकिन 2005 में आप मारवाड़ प.स. से प्रधान पद फिर से जनता की सेवा में व्यस्त हो गये। सन् 2008 में भाजपा ने आपको फिर से उम्मीदवार बनाया और आप मा.ज. के दूसरी बार विधायक बने। 2013 में एक बार फिर से आप विजयी बनते हुए विधायक के पद पर आसीन है। भाजपा में भी आप जिले में विभिन्न पदों पर भी आपने कार्य किया। 1988 में उपाध्यक्ष 1998 में महामंत्री व 2005 से 2008 तक आप जिला अध्यक्ष रहे। आप केवल पाली जिले में ही नहीं राजस्थान के बहार भी विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभायी हैं। 6 दिसम्बर 1991 में राम जन्म भूमि आंदोलन बोट क्लब रैली में 6 दिन तक तिहाड़ जेल में मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर के लाल चौक में झण्डा फहराना के साथ साथ विभिन्न राज्यों के चुनावों में पार्टी के आदेशानुसार कर्तव्य निभाना भी शामिल है। आपके राजनितिक जीवन के साथ साथ सामजिक अन्धविश्वासों व कुरीतियो को हटाने हेतु अनेक सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी निभायी हैं। आपको मारवाड़ के नागरिक लाड प्यार से काकू नाम से संबोधित करते है। आपका राजनितिक जीवन एक तपस्वी सन्त के समान है। आपका राजनितिक जीवन सरल सहज ईमानदारी चरित्रवान कर्मशील स्ष्टवादि निर्भीक ऊर्जावान रहा है। आज भी आपकी इस उम्र पड़ाव में 24 घण्टे में से 18 घण्टे जनता की सेवा करने में व्यस्त है आपको मारवाड़ के विकास पुरुष के रूप में आपको पहचाना जाता है। आप तीन बार विधायक रहने के उपरांत भी आपके जीवन मे सरलता व सादगी नही छोड़ी व जनता की सेवा को परम कार्य माना।

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