सीरवी समाज की पुस्तके

लेखक चन्द्रसिंहजी सीरवी चोयल,ग्राम अटबड़ा, तहसील सोजत जिला पाली जिला पाली,राजस्थान आप एक ईमानदार, कुशल व सफल हिन्दी व्याख्याता के अलावा मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत एक सच्‍चे समाज सेवी और लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। आप अपने जीवन में निरंतर प्रगति की तथा आप व्याख्याता हिंदी साहित्य के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवाकाल से लेकर वर्तमान तक आप साहित्य च साधना में मगन रहते हुए समाज सेवा में लगे हुए हैं। आप साहित्य की गहराइयों में जाकर महत्वपूर्ण को सामग्री प्राप्त करते हैं। इन्होंने सीरवी जाति के इतिहास व प्रसार संबंधी अनेक तत्वों की महत्वपूर्ण खोज कर रचना की। कई अप्रकाशित पुस्‍तकों, गजलों व साहित्‍य के अलावा आपकी विभिन्‍न विषयों पर राजस्थानी भाषा व हिन्‍दी भाषाओं में कई पुस्‍तकें प्रकाशित हो चुकी है जिनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण पुस्‍तकें निम्‍न प्रकार है:– श्री आईजी गति नाटिका, खारड़िया सीरवियों रौ इतिहास, चमत्कारी दीवान रोहितदासजी (अप्रकाशित) आपने सीरवी जाति का इतिहास’ पुस्‍तके लिखी। इन्‍होंने इस पुस्‍तक मे सीरवी जाति को प्रमाणिक, खोजपूर्ण और गौरवशाली इतिहास दिया। विषय सूची :- खारड़िया सीरवियों रौ इतिहास, आईजी माता खंड, गौत्र उत्पत्ति खंड, खारी खाबड़ छोड़णौ, नैं जालोर परवेश खंड, बीकाजी द्धारा जोगमाया री भगति योजना, बगीचा मे जोगमाया रौ अवतार, बादशाह द्धारा बीकाजी रै सांमी सगपण रौ प्रस्ताव, बादशाह ने अम्बापुर लावण री योजना, आईजी द्धारा संन्यास लैणा रौ निश्चत , माधवजी नै आईजी द्धारा जोगमाया रै रूप मे दर्शन, बिलाडा़ में व्हीया कामों रौ ब्यौरों बीकाजी नै दैणौ, अखंड ज्योति री थापना कर,धरम यात्रा में प्रस्थान, आईजी री ग्यारह ज्योतियाँ रौ प्रचार, दो मुठी बीज नै चौसठ बीघा में हजावण रौ परचौ, आईजी रौ अलोप व्हैव्हैण। इस तरह काफी सूची इन पुस्तकों मे शामिल है। श्री चन्द्रसिंहजी चोयल के द्वारा लिखी गई सीरवी जाति के इतिहास की पुस्‍तकें आगामी पीढ़ि के लिये प्रेरणा स्‍त्रोंत रहेगी । आपके इस कार्य हेतु समाज बन्‍धु इन्‍हें सदियों तक याद करते रहेंगे । हमारी वेबसाइट की टीम आपके इस कार्य की सहृदय से प्रशंसा करते है।

  • पुस्तक लेखक – श्री चन्द्रसिंहजी चोयल, अटबडा़
    पुस्तक का नाम – खारड़िया सीरवियों रौ इतिहास एवं  श्री आईजी गीति नाटिका
    प्रकाशक:- सीरवी नवयुवक मण्डल, अटबडा़

श्री रतनलाल जी आगलेचा ने “सीरवी समाज का अद्भुत एवं विकास” नाम से पुस्‍तक लिख कर एक प्रशंसनिय कार्य किया है। आपने सीरवी (खारडि़या) जाति की संपूर्णता को एक पुस्तक में प्रस्तुत करने का अति महत्वपूर्ण प्रयास किया है। हमारी कृषक जाति सीरवी (खारड़िया) एक ईमानदार व परिश्रमी जाति है। प्रारम्भ में क्षत्रिय धर्म का निष्ठापूर्वक पालन पर तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरुप कृषि कार्य को अपनाया। इस पुस्‍तक में रतनलाल जी ने केवल सीरवी जाति की उत्‍पत्ति ही नहीं इस पुस्तक में“अनुक्रमणिका” इस प्रकार :- 1 राजस्थान का परिचय , ऐतिहासक तथा भौगोलिक परिच, 2 सीरवी समाज का निवास (राजस्थान में सीरवी समाज का निवास मध्यप्रदेश में सीरवी समाजकानिवास,3 सीरवी समाज का परिचय,उत्पत्ति,नामकरण,गोत्र सीरवी खारडिया व रामकालीन कुछ जातियों से तुलना, 4 सीरवी समाज सांस्कृतिक विरासत (रीति रिवाज- जन्म विवाह तथा मृत्यु संबंधित संस्कार, वेशभूषा, खान-पान, आदिवासी,भाषा विश्वास एवं मान्यताएं त्यौहार मेले लोकनृत्य) 5 सीरवी समाज के धार्मिक आयाम, श्री आईमाता का संक्षिप्त इतिहास,वैष्णव धर्म उपासना, 6 संस्थाएं एवं सामाजिक भवन समाज के प्रमुख छात्रावास,सीरवी सन्देश कार्यालय,7 साहित्य क्षितिज पर सीरवी सितारे, श्री शिवसिंह चोयल,मोहनलाल राठौड चन्द्रसिंह चोयल,पेमाराम परिहार, व अन्य,8 समाज के पुरोधा (लोकसंत,लोकवीर, समाज सुधारक) 9 सीरवी समाज की प्रगति: एक झलक (राजनैतिक क्षेत्र, शैक्षणिक क्षेत्र,धार्मिक क्षेत्र सामाजिक क्षेत्र, सांस्कृतिक क्षेत्र) 10 सीरवी समाज जनसंख्या राजस्थान में सीरवी समाज जनसंख्या का विवरण जनसंख्यात्मक व्याख्या, मध्यप्रदेश में सीरवी आबादी क्षेत्र) 11 सीरवी समाज एवं साक्षरता (राजस्थान में सीरवी साक्षरता) आदि की स्थिति को प्रदर्शित करने वाला यह ग्रन्थ सीरवी जाति के बारे में जानकारी देने में एक सराहनीय कदम है। आप भी अपनी लेखनी का जौहर दिखाकर इस समाज को सही दिशा की और जाने के लिए प्रेरित करें

  1. पुस्तक – सीरवी समाज का उद्भव एवं विकास
  2.  लेखक:-  श्री रतनलाल पुत्र श्री शिम्भूरामजी आगलेचा,एम.ए. बी.एड. ( स्वर्ण पदक प्राप्त) गांव भावी,जिला जोधपुर राजस्थान

इस आई अमृत पुस्तक में आई माता जी द्वारा दिये गये आत्मीय वचनों का विस्तार किया गया है। इस धार्मिक पुस्तक में आई माता के अमृत वचन, आई माता की आरतियां, प्रेरणा दायक जागृति गीत, लगभग 250 महत्वपूर्ण दोहे, व 250 वेदों के मंत्र एवं उनका अर्थ लिखा गया है। इस पुस्तक के प्रत्येक वाक्य में अमृत रस भरा है। आई अमृत पुस्तक लिखने का उद्देश्य हमारे समाज में धार्मिक प्रचार-प्रसार करके इस भौतिक युग में हमारे समाज की भावी पीढ़ी को संस्कारवान व गुणवान बनाना है ताकि भावी पीढ़ी धर्म के आदर्श रास्ते से भटके नहीं और धर्म की मूल बातें जीवन में धारण करके अपना आत्मीय कल्याण कर सके।

शरीर की खुराक भोजन है, मन की खुराक सच्चा ज्ञान है, आत्मा की खुराक धर्म है, परमात्मा की खुराक सच्ची भक्ति है।।

अतः यह पुस्तक बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस पुस्तक को अवश्य लेकर स्वाध्याय करें। इसे आदर सहित अपने घर पर रखें और पूजा पाठ करते समय पास में रखें जिससे आध्यात्मिक लाभ होगा।

यह पुस्तक माँ आईजी द्वारा दिये गये धार्मिक उपदेशों से मिलते – जुलते विचारों का विस्तार करके गहन चिन्तन करके हृदय की गहराई से लिखी गई है।

आई अमृत पुस्तक के लेखक :- श्री रतनलाल जी बर्फा बी.कॉम., बी.एड. ( सुपुत्र : श्री हरजीराम जी बर्फा ) राजस्थान में पता ग्राम व पोस्ट: भावी तहसील: बिलाड़ा जिला: जोधपुर राजस्थान, वर्तमान पता शिवगामी नगर मेन रोड़, रंगनादपुरम, मेड़वाक्कम चेन्नई

संकल्प, लेखक एवं प्रकाशक- सीरवी श्री जसारामजी लचेटा पुत्र स्व. श्री खूमारामजी लचेटा, ग्राम रामपुरा कला,वाया-चण्डावल जिला-पाली। हाल मुकाम- चेन्नई (रामापुरम) आपने अपने सीरवी समाज की परंपराओं, रीतियों और कई विशेष कार्यों पर प्रकाश डालते हुए। सीरवी (क्षत्रिय) समाज खारड़िया का इतिहास एवं बांडेरू वाणीके नाम से जो पुस्तक प्रकाशित की आपने जो वास्तव में भविष्य में समाज के लिए अच्छी मार्गदर्शक रहेगी। इस पुनीत कार्य पथ पर श्री जसारामजी सीरवी विगत कई वर्षों से लगे हुए हैं जिन्होंने सामाजिक साहित्य लेखन तथा संकलन का कार्य धारा प्रवाह से मिलकर साहित्य-निधि में अभिवृद्धि करने के निमित्त कार्य किया, बहुत महत्वपूर्ण है। अपने इस ग्रंथ में इतिहास के साथ हमारी संस्कृति का विस्तार से बड़ा सुंदर चित्रात्मक- चित्रण किया है जिसे वर्तमान व भावी पीढ़ी को अपनी सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने में सहायता मिलेगी। इस पुस्तक में समाज के तथ्य परप इतिहास, प्रचलित रीति-रिवाजों विवाह संस्कार के समस्त आयामों, सूर्य नमस्कार का महत्व और माननीय जीवन मूल्यों की रक्षा की प्रेरणा देने वाली यह पुस्तक आगमी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा लिए प्रेरणा स्त्रोत साबित होगी। इस पुस्तक में अनुक्रमणिका क्र. विषय सूची इस प्रकार:- सीरवी क्षत्रिय समाज खारड़िया का इतिहास,सीरवी खारड़िया मुख्य शाखाएँ गौत्र एवं उपशाखाएँ, आदर्श किसान एवं विकास यात्रा, संस्कृति, व्यवस्था एवं नियम, विवाह प्रकिया, स्वर्गवासी आत्मा के प्रति विधान, श्री आईजी का जीवन वृतान्त तथा व्रत त्योहार, देव पूजा प्रकरण एवं दुर्गा पूजा विधान, श्री आई पंथ नियमों पर चिन्तन एवं बाण्डेरू वाणी, विचारणीय ज्वलन्त विषय, समाज बन्धु-बान्धुओं हेतु कर्तव्य शिक्षा, सूर्य के 12 नमस्कार, जीवन में ब्राह्मचर्य ज्ञान, गौ-धन, मनुष्य की विचित्र दशा, समाज की प्रमुख संस्थाएं,वर्तमान निवास स्थान

  1. पुस्तक – सीरवी (क्षत्रिय) समाज खारड़िया का इतिहास एवं बांडेरू वाणी
    पुस्तक प्राप्ति स्थल – श्री जसारामजी लचेटा, चेन्नई (रामापुरम)
    लेखक एवं प्रकाशक – सीरवी श्री जसाराम लचेटा चेन्नई

समाज कि पुस्तकें

यहाँ पर हिन्दी की प्रमुख साहित्यिक रचनाओं की सूची दी गयी है। यह सूची पुस्तकों के नाम के क्रम में (देवनागरी वर्नमाला के अनुसार) हैं।

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