समाज की भाषा व बोली

सीरवी मृदुभाषी व सरल स्वभाव के है। सीरवी जाति का उद्गम मूलत: राजस्‍थान से ही हुआ है अत: इस जाति के लोगों की बोली भी राजस्‍थान के विभिन्‍न प्रान्‍तों से ही सम्‍बन्‍ध रखती है। ये अपने क्षेत्र के अनुसार बोली बोलते है। मारवाड़ में मारवाड़ी तथा मध्यप्रदेश में मालवी, मेवाड़ में मेवाड़ी बोलते है। शिक्षित व्यक्ति व्यवहार में प्राय: मारवाड़ी के साथ हिन्दी तथा अंग्रेजी बोलते है। सीरवी जाति के लोगो राजस्‍थान में बसे हुए, और धीरे-धीरे मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तामिलनाडु तक इनका विस्‍तार हो गया। यहां प्राय: सीरवी घरों व सामाजिक अवसरों पर मारवाड़ी बोली जाती है परन्‍तु नई पीढ़ी अब हिन्‍दी बोलने लगी है। राजस्थान से बाहर रहने वाले कई सीरवी अब घर के बाहर , गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, जैसी कई भाषाएं भी बोलने लगे है। जैसे कि गुजरात में गुजराती, मध्‍य प्रदेश में मालवी तथा अन्‍य प्रदेशों में उस प्रदेश की बोली भी बोलते हैं। हिन्‍दी भाषा प्राय: अधिकतर प्रयोग में लाई जाती है।

गोड़वाड़ क्षेत्र में रहने वाले सीरवी तथा बिलाडा़ क्षेत्र में रहने वाले सीरवी कुछ शब्दों का उच्चारण अलग-अलग करते हैं। ‘ब’ को प्राय: बिलाडा़ क्षेत्र में ‘भ’ तथा गोड़वाड़ में ‘व’ उच्चारित करते है। वैसे इनकी भाषा सरल,मधुर व ह्रदयस्पर्शी है।

‘गोड़वाड़’ क्षेत्र में:-
(१) पो,पी,पा सर्वाधिक प्रिय अक्षर।
(२) उच्चारण में मात्राओं का बहुत कम प्रयोग।
(३) कर्म के अनुसार क्रिया प्रयोग। जैसे, रमेश साइकल लायी

बिलाडा़ क्षेत्र व गोड़वाड़ क्षेत्र के सीरवी लोगों द्वारा उच्चारित कुछ शब्द जिनका उच्चारण भीन्न-भीन्न है। लेकिन अर्थ एक है,नीचे दिए जा रहे है:-

बिलाडा़ क्षेत्र । गोड़वार क्षेत्र । हिंदी शब्द

ऊटे । वटे । वहाँ पर
लुगाईव । लगाई  बेर । औरत
बावजी । बापसी । भगवान
इतो । अतरो । इतना
मिमक । मनक । मनुष्य, पुरूष
आटीने । एमू । इधर
ऊटीने । मेमू । उधर
हुणे । हणे । सुनना
कितो । कतरो । कितना
धोरी । वेल । सिंचाई हेतु बहुत छोटी नहर
टाबर । टाबर /ओनेडा़ । बच्चे
धमाक । धमाक/ढिबाक । कूदना
कलेवा । कलेवा / सिरोम । प्रात:कालीन अल्पाहार
धाव । धराव । पशु
हिनोन करना । हनोन करना/ झीलना । स्नान करना
काकड़ी । सीबरा । ककड़ी
हाग । लगोण / भाजी । सब्जी
बुसट । बुसट / बौडियो । शर्ट (कमीज)
ठीमरा । अरट । बेरा या कुएं के समीप की बस्ती
भीलोवणो । सल्लो । दही का मथना (छाछ बनाने की प्रक्रिया)
धीणा । दोजो । पशुओं का दूध देना।

Recent Posts