समाज के लोक नृत्य

पारम्परिक नृत्य एक मनोरंजन का साधन है । इससे जाति विशेष की संस्कृति झलकती है । महत्वपूर्ण त्यौहारों, मेलों व प्रमुख दिवसों पर पारम्परिक नृत्य किया जाता है । सीरवी जाति का प्रमुख पुरुष नृत्य ‘गैर’ नृत्य है। इसमें पुरुष सिर पर गुलाबी चून्दड़ी की पगड़ी, बदन पर कुर्ता, धोती, एक हाथ में एक बांस का लंबा व मजबूत डंडा, दूसरे हाथ में हवा लेने का बिजन (पंखी), पांवों पर चौड़े घुंघरू तथा पांवों में मोजरी पहने होते हैं । यह गोल घूमते हुए नृत्य करते हैं तथा ‘बोलो रे हो धईरो’ की ओजस्वी आवाज के साथ अपने में जोश तथा उत्साह का संचार करते हैं और वातावरण को उत्साही बना देते हैं ।

यह नृत्य मुख्यतः होली, विशेष सांस्कृतिक पर्व तथा मेले के दिन किया जाता है ।

महिलाएं घूमर नृत्य, पारम्परिक नृत्य के रूप में करती हैं ।

पारम्परिक नृत्य के अतिरिक्त डांडिया नृत्य का भी प्रचलन सीरवी जाति में है ।

लोक नृत्य –

पारम्परिक नृत्य एक मनोरंजन का साधन है । इससे जाति विशेष की संस्कृति झलकती है । महत्वपूर्ण त्यौहारों, मेलों व प्रमुख दिवसों पर पारम्परिक नृत्य किया जाता है । सीरवी जाति का प्रमुख पुरुष नृत्य ‘गैर’ नृत्य है। इसमें पुरुष सिर पर गुलाबी चून्दड़ी की पगड़ी, बदन पर कुर्ता, धोती, एक हाथ में एक बांस का लंबा व मजबूत डंडा, दूसरे हाथ में हवा लेने का बिजन (पंखी), पांवों पर चौड़े घुंघरू तथा पांवों में मोजरी पहने होते हैं । यह गोल घूमते हुए नृत्य करते हैं तथा ‘बोलो रे हो धईरो’ की ओजस्वी आवाज के साथ अपने में जोश तथा उत्साह का संचार करते हैं और वातावरण को उत्साही बना देते हैं ।

यह नृत्य मुख्यतः होली, विशेष सांस्कृतिक पर्व तथा मेले के दिन किया जाता है ।

महिलाएं घूमर नृत्य, पारम्परिक नृत्य के रूप में करती हैं ।

पारम्परिक नृत्य के अतिरिक्त डांडिया नृत्य का भी प्रचलन सीरवी जाति में है ।

 

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