समाज के लेखक

लेखक श्री मोहनलाल जी राठौड़

सरल स्वभाव के मृदुभाषी,मिलनसार,उत्कृष्ट लेखनी के धनी,कवि-हृदय और ‘सादा जीवन उच्च विचार ‘के पर्याय श्री मोहनलालजी राठौड़ का जन्म बिलाड़ा नगर पालिका के उपक्षेत्र उचियार्ड़ा में साधारण किसान परिवार में श्री ओगड़राम जी राठौड़ के घर 07जुलाई 1957 को हुआ।माता श्रीमती रमादेवी के आंचल में पलकर बड़े हुए।श्री राठौड़ ने हिंदी विषय में एम.ए.की उपाधि के साथ बी.एड.का प्रशिक्षण लिया।आप चार भाई-बहनों में सबसे बड़े है।आपके छोटे भाई श्री मदनलाल जी राठौड़(र्व सचिव,सीरवी समाज तुमकूर)”सरस्वती ज्वेलर्स”त्यामगुडलू बंगलौर में व्यवसाय कर रहे है। आपका विवाह बिलाड़ा निवासी श्री रावतरामजी काग की पुत्री सीतादेवी के संग हुआ।सफल दांपत्य जीवन का निर्वाहन करते हुए आपके एक पुत्री सुशीला है।जो वर्तमान में कर्नाटक के टूमकुर जिले के मधुगिरी तालुक में अपना पारिवारिक दायित्व निभा रही है।बचपन में माताश्री का आकस्मिक निधन हो जाने के कारण आर्थिक कठिनाइयों में विधाध्ययन करना पड़ा।तत्कालीन जोधपुर विश्व विद्यालय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर बिलाड़ा के ख्याति प्राप्त ‘आलोक उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्यापक पद पर लम्बे समय तक कार्य किया।वर्तमान में आप(श्री मोहनलाल जी राठौड़) श्री आईजी सीनियर माध्यमिक विद्यालय बिलाड़ा में हिंदी प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपने सेकड़ौ देश-भक्ति ओर समाज परक गीत ओर कविताएं की रचना की और समाज-विषय पर अनेक प्रेरणादायी लेख लिखे हैं।आपके ‘श्री आईजी भक्ति फागण फुहार’ और ‘घर-घर सूं गूंजे जय-जय आईमात’नामक दो गीत केसेट जारी किये,जो लोगों दुवरा बहुत पसन्द किये गए हैं।आपने ‘जय श्री आईमाता’नामक फिल्म में ‘धमाल’गीत “अम्बापुर अवतारी माता बिलाड़े विराजे ओ….”लिखा।

 

सीरवी सन्देश पत्रिका से आप सन्ं 1976 से जुडे हुए थे एवं उस समय प्रकाशित त्रिमासिक सीरवी सन्देश मे आप युवा लेखक थे।पत्रिका के प्रति आपकी लगन से आपको जनवरी 1989 मे सह-सम्पादक बनाया गया।दिसंबर 1990 तक आपने इस पद पर कार्य किया।आपकी कार्यशैली एवं लेखनी में उत्कृष्टता के कारण जनवरी 1991से आपको सम्पादक जेसे महत्वपूर्ण पद का कार्यभार दिया गया ओर आपने दिसंबर 1992 तक पूरी निष्ठा से कार्य किया। पत्रिका द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले मंदिर प्रतिष्ठा के विशेषांक के प्रकाशन में आपका अमुल्य योगदान रहता है।आप सीरवी सन्देश पत्रिका के सुद्र्रुढ स्तम्भ माने जाते है।आपको अंलकारिक लेखनी का तो हर कोई कायल है।सामाजिक कार्यों व समाज सेवा में आप सदेव अग्रणी रहते है।समाज में आपकी अच्छी छवि हैं।’गागर में सागर भरना’आपकी लेखन-शैली की विशिष्टता है।

सीरवी सन्देश में प्रकाशित आपके कुछ लेख निम्न हैं:-

1 – बाल विवाह घृणित कुप्रथा पदय रूप में
2 – हम रखेंगे धरा धर्म की लाज।
3 – चोथे जुआ कभी न खेलो।
4 – आईपंथ के प्रचार प्रसार में ठहराव क्यों?
5 – आदर्श गृहणी घर का दीपक।
6 – बाल विवाह के जाल में उलझा सीरवी समाज।
7 – दूजो तो मद मांस छुड़ाई।
8 – शराब के शिकंजे में छटपटाता मानव समाज।
9 – धूम्रपान मोत का पैगाम।
10 – चाय की चुस्की एक मीठा जहर।
11 – कागदो रो मोखण
12 – आईमाता का धर्म रथ माताजी की भेल

13 – निष्क्रय संगठन- खण्डीय एकता।
14 – मनोकामनाओं की पूर्ति का प्रतीक कल्पवृक्ष।
15 – ऐतिहासिक, धार्मिक, पौराणिक एवं सांस्कृतिक नगरी बिलाड़ा (18पुष्प)
16 – हजारों घर बह गए इन बोतलों के पानी में।
17 – डिंगड़ी माता का मन्दिर और प्राकृतिक गुफाएं।
18 – बाल विवाह उन्मूलन वर्तमान की पुकार।
19 – श्री आईजी महिमा भक्ति फागण फुहार गीत कैसेट
20 – सीरवी समाज में प्रचलित सुप्रथा नाता प्रथा
21 – घर घर सूं गूंजे जय जय आई मात कैसेट

इस प्रकार के लेखों के द्वारा सामाजिक चेतना जागृत करना आप अपना ध्येय समझते हैं। वर्तमान में भी आप सीरवी सन्देश पत्रिका का पूर्ण सहयोग कर रहे है तथा सीरवी समाज के साहित्य को समृद्ध करने में जुटे हुए हैं कर्नाटक सीरवी समाज- मेसूर ‘द्वारा प्रकाशित ‘भारत का आध्यात्म चिंतन आई पंथ ‘नामक इस ग्रंथ में सम्पादन सहयोगी का गुरुत्तर का दायित्व निभाकर समाज के साहित्य भंडार को एक अमुल्य निधि प्रदान की है।

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